नयी दिल्ली, 7 दिसंबर (एजेंसियां)
रिपब्लिक टीवी और एंकर अर्नब गोस्वामी को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। सुप्रीमकोर्ट ने रिपब्लिक मीडिया नेटवर्क का स्वामित्व रखने वाली एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड और उसके कर्मियों के खिलाफ महाराष्ट्र में दर्ज मामलों में संरक्षण का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई से सोमवार को इनकार कर दिया। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि यह याचिका प्रकृति में महत्वाकांक्षी है। याचिका में कहा गया था कि सभी एफआईआर रद्द की जाएं और सभी मामलों को जांच के लिए सीबीआई को सौंपा जाए. इसके अलावा, कोई संपादकीय और अन्य कर्मचारी महाराष्ट्र पुलिस द्वारा गिरफ्तार नहीं किए जाएं। जस्टिस चंद्रचूड़ ने एआरजी आउटलायर मीडिया की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील से कहा, ‘यह याचिका महत्वाकांक्षी प्रकृति की है। आप चाहते हैं कि महाराष्ट्र पुलिस किसी कर्मी को गिरफ्तार न करे और मामलों को सीबीआई को स्थानांतरित करे। बेहतर होगा कि आप इसे वापस ले लें।’ शीर्ष अदालत ने वकील को कानून के तहत उपलब्ध उचित उपचार की छूट के साथ याचिका वापस लेने की अनुमति दी। याचिका में यह भी कहा गया था कि मीडिया समूह और उसके कर्मियों के खिलाफ कई मामले दर्ज करने के लिए राज्य और उसकी पुलिस के विरुद्ध भी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
यह है मामला
मुंबई पुलिस ने कथित टीआरपी घोटाले के सिलसिले में मामला दर्ज किया था। मुंबई पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह ने दावा किया था कि रिपब्लिक टीवी समेत तीन चैनलों ने टीआरपी के साथ कथित रूप से छेड़छाड़ की। एआरजी आउटलायर मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने इन आरोपों को खारिज किया है। इसके अलावा, महाराष्ट्र में गोस्वामी के खिलाफ कुछ अन्य मामले लंबित हैं। शीर्ष अदालत ने आत्महत्या के लिये उकसाने के 2018 के मामले में प्राथमिकी रद्द करने के लिये अर्नब और दो अन्य की याचिकाओं पर बंबई हाईकोर्ट के फैसला करने की तारीख से चार सप्ताह के लिये उनकी अंतरिम जमानत की अवधि 27 नवंबर को बढ़ा दी थी। न्यायालय ने कहा था कि न्यायपालिका को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि फौजदारी कानून मनमाने तरीके से उत्पीड़न का हथियार नहीं बनें।