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Nitish Katara Murder Case : विकास यादव को कोर्ट से राहत नहीं, SC ने खारिच की जमानत याचिका

न्यायालय ने दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से किया इनकार, हाई कोर्ट का रुख करने की दी सलाह
प्रतीकात्मक चित्र
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Nitish Katara Murder Case : सुप्रीम कोर्ट ने 2002 के बहुचर्चित नीतीश कटारा हत्या मामले में 25 साल की जेल की सजा काट रहे दोषी विकास यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने से सोमवार को इनकार कर दिया और उसे हाई कोर्ट का रुख करने के कहा। यादव की अंतरिम जमानत नौ सितंबर को समाप्त हो रही है। यादव के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता एस गुरुकृष्ण ने न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ से आग्रह किया कि उनके मुवक्किल की अंतरिम जमानत अवधि चार दिन और बढ़ा दी जाए, ताकि वह हाई कोर्ट में उचित आवेदन दायर कर सकें।

हालांकि, पीठ ने इस याचिका को अस्वीकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि चूंकि मामला हाई कोर्ट में लंबित है, इसलिए उसके लिए हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ अपील पर विचार करना अनुचित है। पीठ ने कहा, ‘‘आप हाई कोर्ट का रुख करें।'' गुरुकृष्ण ने कहा कि उन्हें हाई कोर्ट भेजने के बजाय शीर्ष अदालत स्वयं उनकी जमानत अवधि बढ़ाने की याचिका पर सुनवाई करे। वकील ने कहा कि शीर्ष अदालत समय-समय पर जमानत की अवधि बढ़ाती रही है, ताकि वह अपनी बीमार मां के साथ समय बिता सकें।

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जब पीठ ने संकेत दिया कि वह याचिका खारिज कर देगी, तो यादव के वकील ने कहा कि वह हाई कोर्ट का रुख करेंगे। इससे पहले, पीठ ने यादव की अंतरिम जमानत एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी थी। यादव ने हाई कोर्ट में इस आधार पर जमानत अवधि बढ़ाने की मांग की थी कि वह सितंबर के पहले सप्ताह में शादी करना चाहता है। शीर्ष अदालत दिल्ली हाई कोर्ट के 22 अगस्त के आदेश के खिलाफ यादव द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें 29 जुलाई को शीर्ष अदालत द्वारा दी गई उनकी अंतरिम जमानत को बढ़ाने से इनकार कर दिया गया था।

गत सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह ने मामले की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। पीठ ने हालांकि यादव की अंतरिम जमानत की अवधि एक सप्ताह के लिए बढ़ा दी। यादव (54) 23 साल से अधिक समय जेल में बिता चुका है। उसने इस आधार पर अंतरिम जमानत का अनुरोध किया था कि उसकी शादी पांच सितंबर को होनी है और उसे सजा सुनाए जाने के समय उस पर लगाए गए 54 लाख रुपये के जुर्माने का इंतजाम करना है।

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति ए जी मसीह की पीठ ने पहले हाई कोर्ट के विचार से सहमति जताते हुए कहा था कि मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश की अध्यक्षता वाली पीठ द्वारा की जानी चाहिए, जिसने 29 जुलाई को यादव की अंतरिम जमानत बढ़ाने का आदेश पारित किया था। हाई कोर्ट ने 22 अगस्त को मामले की सुनवाई दो सितंबर तक स्थगित कर दी थी, क्योंकि वह इस बात को लेकर असमंजस में था कि क्या उसके पास अंतरिम जमानत की अवधि बढ़ाने का अधिकार है।

बता दें कि यादव उत्तर प्रदेश के नेता डी. पी. यादव का बेटा है। विकास यादव के चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनायी गई थी। विकास यादव और विशाल यादव विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंधों के खिलाफ थे। एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनायी गई थी। सुप्रीम कोर्ट ने 29 जुलाई को यह कहते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया कि उसने अपनी 20 साल की सजा इस साल मार्च में पूरी कर ली है।

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