Nitish Katara Murder Case : कटारा हत्याकांड केस में कोर्ट का सख्त रुख, केंद्र और दिल्ली सरकार से मांगा जवाब
Nitish Katara Murder Case : दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को 2002 के नीतीश कटारा हत्याकांड में दोषी विकास यादव की रिहायी के लिए दायर याचिका पर केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। यादव (54) तेईस साल से अधिक समय से जेल में है। उसने इस आधार पर भी अंतरिम जमानत का अनुरोध किया है कि उसका विवाह 5 सितंबर को तय है और उसे 54 लाख रुपये के जुर्माने की राशि का प्रबंध भी करना है, जो सजा सुनाये जाने के समय उस पर लगाया गया था।
न्यायमूर्ति रवींद्र डुडेजा ने यादव की याचिका पर केंद्रीय गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय, दिल्ली सरकार और नीतीश कटारा की मां नीलम कटारा को नोटिस जारी किया। यादव के विवाह के कारण जल्दी सुनवायी का यादव के वकील द्वारा अनुरोध किये जाने के बाद अदालत ने मामले की सुनवायी दो सितंबर के लिए निर्धारित की। याचिका में छह फरवरी, 2015 को 25 वर्ष की निश्चित अवधि की सजा सुनाते हुए यादव को सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत छूट का लाभ देने से इनकार करने का मुद्दा उठाया गया है।
यादव ने जेल से अपनी रिहायी और संबंधित प्राधिकारियों से माफी के लिए आवेदन करने की अनुमति मांगी। यादव के वकील ने कहा कि यादव ने 25 वर्ष की निर्धारित सजा में से 23 वर्ष से अधिक की सजा पहले ही काट ली है और किसी दोषी को छूट का लाभ देना अदालत की सजा देने की शक्तियों के अंतर्गत नहीं आता है। याचिका में कहा गया है, ‘‘निश्चित अवधि की सजा के दौरान छूट से इनकार करना, संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त याचिकाकर्ता के जीवन के अधिकार का उल्लंघन है, क्योंकि यह दोषी को छूट के लिए आवेदन करने या उसके लिए अनुरोध करने के अधिकार से वंचित करता है।''
सुप्रीम कोर्ट ने पहले यादव को इस मामले में छूट के लिए हाई कोर्ट जाने की अनुमति दी थी। वह अपनी बीमार मां की देखभाल के लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 26 अगस्त तक अंतरिम जमानत पर हैं। हालांकि, हाई कोर्ट ने यादव की वर्तमान अंतरिम जमानत याचिका और सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई जमानत के बीच कोई संबंध नहीं होने का हवाला देते हुए उसे 26 अगस्त को आत्मसमर्पण करने को कहा।
इसके अलावा, यादव ने अपनी शादी के लिए और जुर्माने की राशि चुकाने के लिए धन की व्यवस्था करने हेतु दो महीने की अंतरिम जमानत देने का हाई कोर्ट से आग्रह भी किया है। अन्यथा जुर्माना नहीं चुकाने पर यादव को तीन साल और जेल में बिताने होंगे। यादव के वकील ने कहा, ‘‘मेरे पास आय का कोई स्रोत नहीं है, मैं 54 साल का हूं। अगर मैं अभी शादी नहीं करता और घर नहीं बसाता, तो समय निकल जाएगा। घर बसाने का यही मेरा एकमात्र मौका है।'' इस याचिका का नीलम के वकील ने विरोध किया और दलील दी कि किसी दोषी के लिए अंतरिम जमानत का कोई प्रावधान नहीं है।
वकील ने कहा कि एक दोषी या तो पैरोल या फर्लो का हकदार होता है। अदालत ने कहा कि किसी दोषी को अंतरिम जमानत देने का प्रावधान "पूरी तरह से अनसुना" है। न्यायाधीश ने उसके वकील से कहा, ‘‘क्या हाई कोर्ट के पास दोषसिद्धि के बाद और पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद अंतरिम जमानत देने का अधिकार है? आप इस पर विचार कर सकते हैं। मैं इसे लंबित रख रहा हूं।'' अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता सजा काट रहा एक दोषी है और उसकी अपील सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है, जबकि उसके वकील ने मामले के सुनवायी योग्य होने के मुद्दे पर निर्देश देने के लिए समय मांगा।
यादव उत्तर प्रदेश के नेता डी. पी. यादव का बेटा है। विकास यादव के चचेरे भाई विशाल यादव को भी कटारा के अपहरण और हत्या के लिए सजा सुनायी गई थी। विकास यादव और विशाल यादव, दोनों विकास की बहन भारती यादव के साथ कटारा के कथित संबंधों के खिलाफ थे। एक अन्य सह-दोषी सुखदेव पहलवान को बिना किसी छूट के 20 साल की जेल की सजा सुनायी गई थी। 29 जुलाई को, सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए उसे जेल से रिहा करने का आदेश दिया कि उसने अपनी 20 साल की सजा इस साल मार्च में पूरी कर ली है।