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Next Generation GST : वैश्विक शुल्क संकट के बीच भारत का स्मार्ट प्लान, अब कर नहीं होगा भारी भरकम

'अगली पीढ़ी का जीएसटी' एकल कर स्लैब की दिशा में एक कदम: सूत्र
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Next Generation GST : वैश्विक व्यापार में शुल्क के खतरों के बीच 'अगली पीढ़ी का जीएसटी' अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और आगे चलकर एकल कर दर व्यवस्था लागू करने की दिशा में बढ़ाया गया एक कदम है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी देते हुए कहा कि इसमें व्यापक सुधारों, कम कर दरों और केवल दो स्लैब का प्रस्ताव है।

उन्होंने कहा कि प्रस्तावित नयी जीएसटी व्यवस्था में कर दरों को कम करते हुए केवल पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत के दो स्लैब निर्धारित किए गए हैं। यदि जीएसटी परिषद प्रस्तावित दो स्लैब वाली व्यवस्था को मंजूरी देती है तो माल एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था में 12 प्रतिशत और 28 प्रतिशत के स्लैब खत्म हो जाएंगे।

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एक सरकारी अधिकारी ने इसे ''अगली पीढ़ी का जीएसटी'' नाम देते हुए कहा कि ''यह एक क्रांतिकारी सुधार है... भारत में हो रहे आर्थिक सुधारों के महाकुंभ में यह सबसे ऊपर है।'' अधिकारियों ने नाम न छापने की शर्त पर यह बात कही। सरकारी सूत्रों ने कहा कि नए ढांचे का मतलब होगा कि लगभग सभी आम इस्तेमाल की वस्तुएं निचले कर दायरे में आ जाएंगी। इससे कीमतों में कमी होगी और खपत बढ़ेगी।

एक सूत्र ने कहा कि केंद्र सरकार कर दरों को युक्तिसंगत बनाने में कोई अल्पकालिक समाधान नहीं चाहती थी और क्षतिपूर्ति उपकर खत्म होने के साथ ही अगली पीढ़ी का जीएसटी जरूरी हो गया था। उन्होंने कहा, ‘‘कम करों का मतलब है कि इससे लोगों की जेब में ज्यादा पैसा आएगा। इससे जाहिर तौर पर खपत बढ़ेगी।'' अधिकारी ने पीटीआई-भाषा को बताया, ‘‘साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर कर कम हो।'' उन्होंने आगे कहा, ‘‘एक बार यह व्यवस्था लागू हो जाए और भारत एक विकसित राष्ट्र बन जाए, तो हम एकल दर वाले जीएसटी के बारे में सोच सकते हैं।''

उन्होंने कहा कि एकल दर संरचना उन विकसित देशों के लिए सही है जहां आय और व्यय क्षमता एक समान है। अधिकारी ने कहा, ‘‘अंतिम लक्ष्य एकल स्लैब संरचना की ओर बढ़ना है, हालांकि, अभी इसके लिए सही समय नहीं है।'' अधिकारी ने कहा कि बदलाव की इस पूरी प्रक्रिया में हर नियम-कायदे का पालन किया जा रहा है। केंद्र सरकार नेतृत्व की भूमिका निभा रही है, लेकिन संवैधानिक जिम्मेदारी निभाते हुए दरों में संतुलन का काम मंत्रियों के समूह (जीओएम) के साथ मिलकर कर रही है।

अधिकारी ने कहा, ‘‘हमने हर एक वस्तु को बारीकी से देखा है और कई मामलों में तीन-चार बार विचार भी किया है। चाहे किसानों के लिए कीटनाशक हों, छात्रों के लिए पेंसिल या एमएसएमई के लिए कच्चा माल-हर वस्तु पर विस्तार से चर्चा की गई है और उसे आवश्यक या सामान्य वस्तुओं की श्रेणी में रखा गया है।'' जीएसटी की संशोधित व्यवस्था के दिवाली तक लागू होने की उम्मीद है। केंद्र सरकार ने जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाने के लिए गठित राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह को अपना यह प्रस्ताव भेजा है। इसमें 12 और 28 प्रतिशत की मौजूदा कर दरों को हटा दिया गया है।

वहीं, संशोधित जीएसटी व्यवस्था में दो कर स्लैब के अलावा विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं के लिए 40 प्रतिशत की एक विशेष दर रखने का प्रस्ताव रखा गया है। अब मंत्रियों का समूह इस प्रस्ताव पर चर्चा करेगा और उसके आधार पर अपनी अनुशंसा जीएसटी परिषद के समक्ष रखेगा। जीएसटी परिषद की बैठक अगले महीने होने की उम्मीद है। फिलहाल आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर शून्य प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है जबकि दैनिक उपयोग की वस्तुओं पर पांच प्रतिशत, मानक वस्तुओं पर 12 प्रतिशत, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों एवं सेवाओं पर 18 प्रतिशत और विलासिता एवं नुकसानदेह वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाया जाता है।

सूत्रों ने बताया कि इस साल दिवाली तक मौजूदा अप्रत्यक्ष कर व्यवस्था की जगह लेने के लिए तैयार इस संशोधित प्रारूप में पांच प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो कर दरें ही प्रस्तावित की गई हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 79वें स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन के दौरान दिवाली तक जीएसटी दरों में काफी कमी किए जाने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे आम लोगों और छोटे एवं मझोले उद्योगों को राहत मिलेगी। एक सूत्र ने तीसरी तिमाही की शुरुआत में इसके लागू हो जाने की उम्मीद जताते हुए कहा, ‘‘कर दरों में बदलाव से राजस्व में फर्क आएगा लेकिन उसकी भरपाई अगले कुछ महीनों में हो जाएगी।''

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