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New Tradition : अबीर और गुलाल से होली खेलेंगे बाबा काशी विश्वनाथ, लड्डू गोपाल की ओर से भेजे गए उपहार

लड्डू गोपाल की ओर से उपहार स्वरूप आए रंग से होली खेलेंगे बाबा काशी विश्वनाथ
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वाराणसी (उप्र), 11 मार्च (भाषा)

New Tradition : वाराणासी स्थित बाबा श्री काशी विश्वनाथ इस साल पहली बार मथुरा से लड्डू गोपाल की ओर से उपहार स्वरूप आए अबीर और गुलाल से होली खेलेंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि मंदिर में यह एक नई परंपरा की शुरुआत होगी।

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इस परंपरा के तहत मथुरा में लड्डू गोपाल के लिए काशी विश्वनाथ धाम की तरफ से विशेष उपहार भेजा गया है। बदले में रंग, अबीर और गुलाल सहित प्रसाद काशी विश्वनाथ धाम पहुंच चुका है। इन रंगों से रंगभरी एकादशी और होली मनाई जाएगी। कृष्ण जन्मस्थान मथुरा के सचिव कपिल शर्मा और गोपेश्वर चतुर्वेदी से वार्ता के बाद इस परंपरा को शुरू किया है जो आगे भी जारी रहेगी। श्री काशी विश्वनाथ धाम में पारंपरिक लोकोत्सव रंगभरी एकादशी का तीन दिवसीय समारोह हर्षोल्लासपूर्वक भव्य रूप से मनाया जा रहा है।

महोत्सव के दूसरे दिन रविवार को श्रद्धालुओं, गणमान्य लोगों और स्थानीय लोगों ने श्री काशी विश्वनाथ और माता गौरा के हल्दी उत्सव में भाग लिया। मंदिर के अधिकारियों ने बताया कि मथुरा से आए श्रद्धालु काशी विश्वनाथ के लिए उपहार और गुलाल लेकर आए, जबकि सोनभद्र से आए आदिवासी श्रद्धालुओं ने पलाश के फूलों से बना हर्बल गुलाल चढ़ाया।

मंदिर न्यास का प्रतिनिधित्व करते हुए मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण एवं जिलाधिकारी शम्भू शरण ने श्री विश्वेश्वर महादेव का पूजन कर हर्बल गुलाल चढ़ाया। श्री काशी विश्वनाथ और माता गौरा की रजत पालकी यात्रा मंदिर प्रांगण से गुजरी, भक्तों ने भक्ति गीत गाते हुए फूल, हल्दी, अबीर और गुलाल की वर्षा की। शाम को फूलों से सजी पालकी पर श्री काशी विश्वनाथ महादेव और मां गौरा की रजत प्रतिमा मंदिर प्रांगण में भ्रमण करते हुए मंदिर चौक पहुंची।

इस दौरान श्रद्धालुओं ने हर-हर महादेव के जयकारे के साथ पालकी यात्रा का स्वागत किया। वाराणसी के मंडल आयुक्त कौशल राज शर्मा ने धाम में पहुंचकर श्री काशी विश्वनाथ महादेव एवं माता गौरा को हल्दी, गुलाल एवं पुष्प अर्पित कर मंगल कामना की। श्री काशी विश्वनाथ महादेव और माता गौरा का हल्दी उत्सव धाम में आए श्रद्धालुओं एवं काशीवासियों के लिए विशेष आकर्षण का केंद्र रहा। बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने विश्वनाथ महादेव एवं मां गौरा की प्रतिमा पर हल्दी अर्पण कर परंपरा का निर्वहन किया।

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