नया आयकर बिल लोकसभा में पेश, चयन समिति को भेजा
नयी दल्ली, 13 फरवरी (ट्रिन्यू)
नये आयकर विधेयक-2025 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बृहस्पतिवार को लोकसभा में पेश किया। इसे तुरंत संसद की एक चयन समिति को भेज दिया गया।
समिति अपनी रिपोर्ट अगले सत्र के पहले दिन प्रस्तुत करेगी। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि यह पहला दिन बजट सत्र के दूसरे भाग की शुरुआत में होगा या जब अगस्त में मानसून सत्र शुरू होगा तब। बजट सत्र का पहला चरण बृहस्पतिवार को संपन्न हुआ। दूसरा सत्र 10 मार्च को शुरू होगा।
आयकर अधिनियम-1961 की जगह लेने वाले इस विधेयक को कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन और टीएमसी के सौगत रॉय की आपत्तियों के बीच पेश किया गया। सीतारमण द्वारा आपत्तियों को अस्वीकार्य करार दिए जाने के बाद, स्पीकर ने तुरंत विधेयक को चयन समिति के पास भेज दिया।
इस विधेयक का उद्देश्य कर कानूनों को सरल बनाना और अनुपालन संरचनाओं को आधुनिक बनाना है। इसमें सबसे महत्वपूर्ण परिवर्तनों में से एक सरल शब्दावली की शुरुआत की गई है। नये बिल में ‘एसेस्मेंट ईयर’ की जगह ‘टैक्स ईयर’ और ‘प्रीवियस ईयर’ की जगह ‘वित्तीय वर्ष’ किया गया है। ‘टैक्स ईयर’ एक अप्रैल से शुरू होने वाली 12 महीने की अवधि का प्रतिनिधित्व करेगा, जो इसे वित्तीय वर्ष के ढांचे के साथ समायोजित करता है। ‘टैक्स ईयर’ की शुरुआत का उद्देश्य कानूनों को सरल बनाना और करदाताओं को अधिक सुविधा प्रदान करना है।
इसके अलावा, कर अवधि को वित्तीय वर्ष के साथ जोड़ने और पुरानी शब्दावली को खत्म करने से कम त्रुटियां होंगी और अनुपालन में सुधार होगा। सूत्रों ने बताया कि करदाताओं को अब प्रीवियस और एसेस्मेंट ईयर्स के बीच अंतर करने की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि टैक्स ईयर सीधे उस अवधि से संबंधित होगा, जिसमें आय अर्जित की जाती है और रिपोर्ट की जाती है। वित्तीय रिकॉर्ड टैक्स ईयर के साथ सहजता से जुड़े रहेंगे, जिससे कर रिटर्न दाखिल करने और दस्तावेज तैयार करने में भ्रम की स्थिति कम होगी। नये विधेयक में 23 अध्याय, 16 अनुसूचियां और 536 खंड सूचीबद्ध हैं, जो कर प्रावधानों की एक विस्तृत रेंज को कवर करते हैं।
क्या बदला
नया विधेयक पुराना अधिनियम
शब्द 2.6 लाख 5.12 लाख
धाराएं 536 819
अध्याय 23 47
सारणी 57 18
ये है खास
n नये विधेयक का उद्देश्य मुकदमेबाजी और नयी व्याख्याओं के दायरे को कम करना है।
n समझने में आसानी के लिए वेतन से संबंधित प्रावधानों को एक स्थान पर समेकित किया गया है।
n मुख्य शब्द और वाक्यांश, विशेष रूप से जहां न्यायालयों ने निर्णय दिए हैं, उन्हें बरकरार रखा गया है।
n वीआरएस और छटनी पर ग्रेच्युटी, लीव इनकैश, पेंशन का कम्यूटेशन जैसी कटौती अब वेतन अध्याय का हिस्सा हैं।