हरीश लखेड़ा/ ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 29 जुलाई
शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलावों के साथ आखिरकार 34 साल बाद देश को नयी शिक्षा नीति मिल गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को कैबिनेट की बैठक में बहुप्रतीक्षित शिक्षा नीति-20 को हरी झंडी दिखा दी गई। इसके साथ ही कैबिनेट ने केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय कर दिया है। इस मंत्रालय का नाम शुरुआत में यही था, लेकिन 1985 में इसे बदल दिया गया था। नयी शिक्षा नीति के मसौदे में इसका नाम फिर से शिक्षा मंत्रालय रखने का सुझाव दिया गया था। नयी शिक्षा नीति 1986 की शिक्षा नीति की जगह लेगी। कैबिनेट की बैठक के बाद सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावडेकर और शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने नयी शिक्षा नीति के बार में जानकारी दी। इस मौके पर प्रेजेंटेशन भी दिया गया। नयी नीति से देश में स्कूल और उच्च शिक्षा प्रणालियों में परिवर्तनकारी सुधारों का मार्ग प्रशस्त किया गया है। जावडेकर और निशंक ने नयी शिक्षा नीति को ऐतिहासिक बताया।
निशंक ने कहा कि नयी शिक्षा नीति के बाद भारत ज्ञान की महाशक्ति बनकर उभरेगा। यह नीति बच्चों में जीवन जीने के जरूरी कौशल और जरूरी क्षमताओं को विकसित किए जाने पर जोर देती है। नयी शिक्षा नीति को लेकर 2 समितियां- टीएसआर सुब्रमण्यम समिति और डॉ. के कस्तूरीरंगन समिति बनाई गई थीं।
उच्च िशक्षा : मल्टीपल एंट्री-एग्जिट का विकल्प
शिक्षा मंत्रालय के उच्च शिक्षा विभाग के सचिव अमित खरे के अनुसार अब कला, संगीत, शिल्प, खेल, योग, सामुदायिक सेवा, अलग-अलग भाषाओं के ज्ञान, 21वीं सदी के कौशल जैसे सभी विषयों को भी पाठ्यक्रम में शामिल किया जाएगा। इन्हें सहायक पाठ्यक्रम या अतिरिक्त पाठ्यक्रम नहीं कहा जाएगा। अब पूरे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक ही रेगुलेटरी बॉडी होगी, ताकि शिक्षा क्षेत्र में अव्यवस्था को खत्म किया जा सके। काॅलेजों को भी अधिक स्वयतत्ता दी जाएगी। मल्टीपल एंट्री व एग्जिट का विकल्प रखा गया है। मसलन, 4 साल के इंजीनियरिंग कोर्स का कोई छात्र यदि पारिवारिक या अन्य कारणों से मजबूरीवश बीच में पढ़ाई छोड़ देता है, तो उसे एक साल की शिक्षा पर सर्टिफिकेट, दो साल पर डिप्लोमा आदि दिए जाएंगे। ऐसे छात्र तय समय के भीतर फिर से अपनी शिक्षा पूरी करने को भी लौट सकेंगे। अकादमिक बैंक ऑफ क्रेडिट्स व्यवस्था लागू होगी। इसी तरह छात्रों को उनकी रुचि के विषय पढ़ने के विकल्प मिलेंगे। मसलन, इंजीनियरिंग के साथ संगीत विषय ले सकेंगे। फीस पर भी कैप लगाया जाएगा। शोध को बढ़ावा देने के लिए नेशनल रिसर्च फाउंडेशन बनेगा।
10+2 पैटर्न बदलेगा
स्कूली सचिव अनिता करवल के अनुसार 10+ 2 पैटर्न को 5+3+3+4 किया जाएगा। अब कक्षा 6 से ही वोकेशनल शिक्षा और इंटर्नशिप शुरू हो जाएगी। स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रम को कम किया जाएगा, ताकि बस्तों का बोझ कम हो। मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा में कम से कम 5वीं कक्षा तक पढ़ाने की व्यवस्था होगी। बोर्ड परीक्षा को दो भागों में बांटा जा सकता है, जो वस्तुनिष्ठ और विषय आधारित होगा। रिपोर्ट कार्ड के स्वरूप मे बदलाव करते हुए समग्र मूल्यांकन पर आधारित रिपोर्ट कार्ड की बात कही गयी है। हर कक्षा में जीवन कौशल परखने पर जोर होगा। इसके अलावा पारदर्शी एवं आॅनलाइन शिक्षा को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया है।