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Nepal GenZ Violence : हिंसाग्रस्त नेपाल से सुरक्षित वापस लौटा प्रोफेसरों का दल, मदद न मिलने पर जताई निराशा

आयोजित अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गया था दल
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Nepal GenZ Violence : नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गए उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित एक महाविद्यालय के प्रोफेसरों के एक दल ने पड़ोसी मुल्क में हिंसा फैलने के बाद सकुशल भारत वापसी पर ईश्वर को धन्यवाद दिया।

बलिया जिला मुख्यालय स्थित टाउन स्नातकोत्तर महाविद्यालय के प्रोफेसर बृजेश सिंह के नेतृत्व में शिक्षकों का एक दल हाल ही में नेपाल की राजधानी काठमांडू में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में शामिल होने गया था। लौटने से एक दिन पहले ही नेपाल में भड़की हिंसा के बीच उसके सभी सदस्य होटल के कमरे में कैद रहे। इस दौरान भय और सिहरन के दौर से गुजरे दल ने कहीं से कोई मदद नहीं मिलने पर निराशा भी जाहिर की। प्रोफेसर सिंह ने बताया कि उनका छह सदस्यीय दल काठमांडू में छह से आठ सितंबर तक जलवायु परिवर्तन को लेकर आयोजित होने वाले अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए बलिया से 5 सितंबर को निकला था।

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दल को 9 सितंबर को लौटना था मगर 8 सितंबर को ही नेपाल में सरकार विरोधी आंदोलन के हिंसक होने से हालात बिगड़ गए। 9 सितंबर को दल के सभी सदस्य काठमांडू हवाई अड्डे पर वापसी के लिए पहुंचे तो सभी उड़ानें निरस्त होने की जानकारी हुई। नेपाली संसद और प्रधानमंत्री आवास को आग के हवाले कर दिए जाने के बाद उत्पन्न भय के माहौल के बीच दल के सभी सदस्य हवाई अड्डा परिसर में ही छह घंटे तक रहे।

उसके बाद किसी तरह से हवाई अड्डे से तकरीबन एक किलोमीटर दूर पशुपति नाथ मंदिर के पास एक होटल में पहुंचे। होटल प्रबंधन ने दल के सभी सदस्यों से अपने होटल के कमरों में ही रहने की ताकीद की। इस दौरान पास में ही स्थित पशुपति नाथ मंदिर में लूटपाट और गौशाला तथा एक पुलिस चौकी में आगजनी की जानकारी मिली। इस सूचना के बाद दल के सभी लोग और भी दहशतजदा हो गए।

नेपाल से बाहर निकलने के लिए उन्होंने कई जगह सम्पर्क किया लेकिन कहीं से कोई मदद नहीं मिली। उन्होंने कहा कि दल के सदस्यों को नेपाल की यह यात्रा जीवन भर भूले नहीं भूलेगी। उन्हें सुरक्षित वापसी का भरोसा नहीं था, लेकिन नेपाल में हिंसा के बाद वहां की सेना ने 24 घंटे के अंदर जिस तरह से स्थिति को नियंत्रित किया उससे शिक्षकों के दल को आस जगी कि अब वे सुरक्षित बलिया पहुंच जाएंगे।

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