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NDC fraud case: डबवाली में 51 खरीदार-विक्रेताओं पर मुकदमा दर्ज, 28 महिलाएं भी शामिल

NDC fraud case: नगर परिषद प्रॉपर्टी टैक्स व विकास शुल्क से बचने के लिए रचा गया था फर्जीवाड़े का खेल
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NDC fraud case: डबवाली तहसील व नगर परिषद तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार गैंग के शिकार लोगों पर दीवाली से पहले ‘सरकारी गाज’ गिर पडी है, जिसमें सरकारी पोर्टल की खामियों के सहारे फर्जी एनडीसी के माध्यम से वसीका रजिस्ट्रियों के समय हजारों रूपये बचाने वाले 51 लोग कानूनी शिकंजे में घिर गये हैं। जिनमें करीब 28 महिलाएं भी शामिल हैं।

सिरसा जिला प्रशासन की जांच के बाद एनडीसी (नो ड्यू सर्टिफिकेट) फर्जीवाड़ा मामले में बड़ा कानूनी एक्शन हुआ है। उपायुक्त सिरसा के आदेशों पर तहसीलदार की शिकायत के आधार पर सिटी पुलिस ने 51 खरीदारों व विक्रेताओं के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। जिनमें बीएनएस धाराओं 318(4), 336(3), 338, 340 व रजिस्ट्रेशन एक्ट 1908 की धारा 82 के अंतर्गत कार्रवाई हुई है। ये फर्जीवाड़ा वार्ड 6-7 की 24 वसीका रजिस्ट्रियों से जुड़ा है।

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नियमों के अनुसार, अनाधिकृत रकबे में संपत्ति की रजिस्ट्री नहीं हो सकती, लेकिन सरकारी पोर्टल की खामी आम जनता को लालच के राह पर डाल रही है। बता दें कि अवैध एनडीसी अपडेट के मामले में नगर परिषद डबवाली के क्लर्क सरवन कुमार को पहले ही निलंबित किया जा चुका है। यह मामला भ्रष्टाचार में घिरे शहरी स्थानीय निकाय विभाग व राजस्व विभाग के बीच ‘जिम्मेदारी तय करने’ की जंग से भी जुड़ा है।

आरोपियों में वीनू गर्ग, वीणा रानी, दिशा, अंजू रानी, सुखदीप कौर, सर्वजीत कौर, सिमरण कौर, विनोद, पवन कुमार, बिमला देवी, सुखविंद्र, देव नाथ, उषा रानी, प्रितपाल सिंह, विधा देवी, आईआईएफएल होम लोन फाइनेंस, इसमत, मलकीत कौर, राजीव मेहता, संदीप कुमार, रविंद्र कुमार, प्रशांत कुमार, शविंद्र गर्ग, सन्नी कुमार, रोशन लाल, किरण बाला, ममता रानी, चरणजीत कौर, भरपूर कौर, सतनाम सिंह, सुखपाल कौर, जोगिंद्र सिंह उर्फ नाहर सिंह, सुखवीर कौर, नेहा रानी, रेशमा देवी, सोनिया, सुरेंद्र कुमार, सुरेंद्र सिंह, शांति कुमारी, कान्ता रानी, मीना रानी, सोनू बाला, सरवन कुमार समेत कई अन्य नाम शामिल हैं। जांच में सामने आया कि यह पूरा फर्जीवाड़ा बीते 15 वर्षों से नगर परिषद के लंबित टैक्स, विकास शुल्क और भविष्य के प्रॉपर्टी टैक्स से बचने के उद्देश्य से रचा गया था।

एनडीसी प्रकरण तब सुर्खियों में आया था जब तत्कालीन नायब तहसीलदार ने नगर परिषद की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। मामला तूल पकड़ते ही स्थानीय निकाय विभाग ने अपनी साख बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और डीएमसी सिरसा ने जुलाई माह में उपायुक्त सिरसा को एक तथ्यात्मक रिपोर्ट भेजकर संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की।

गौरतलब है कि इससे पूर्व जून माह में डीएमसी सिरसा ने 24 गैरमंजूरशुदा रकबों की रिपोर्ट उपायुक्त को भेजी थी, जिसके आधार पर प्रारंभिक जांच तहसीलदार डबवाली को तथा बाद में विस्तृत जांच डीआरओ सिरसा को सौंपी गई थी। डीएमसी सिरसा ने खुलासा किया था कि तहसील डबवाली में नगर परिषद के अधीनस्थ 24 अनाधिकृत क्षेत्रों में 4930.42 वर्ग गज रकबे की रजिस्ट्रियां अवैध रूप से की गई। ये रजिस्ट्रियां 20 अगस्त 2024 से 15 जून 2025 के बीच हुईं, जिनमें सितंबर 2024 में सर्वाधिक 9 व नवंबर 2024 में 6 रजिस्ट्रियां दर्ज हुईं।

‘दैनिक ट्रिब्यून’ की खबर से शुरू हुई थी जांच

स्थानीय सूत्र बताते हैं कि डबवाली में भू-माफिया की नगर परिषद और तहसील कार्यालय के भ्रष्ट तंत्र से बड़ी आर्थिक सांठ-गांठ है। जिसके चलते एनडीसी फर्जीवाड़े मामले थमने का नाम नहीं ले रहे। गत 22 फरवरी को दैनिक ट्रिब्यून में प्रकाशित रिपोर्ट ‘एनडीसी में गैरमंज़ूरशुदा रकबे को मंज़ूरशुदा दर्शा की रजिस्ट्री’ पर प्रशासनिक संज्ञान के बाद जांच आरंभ हुई थी, जिसके बाद से लगातार परतें खुलने लगी।

अभी 25 ओर रजिस्ट्रियां भी जांच घेरे में

24 रजिस्ट्रियां के एनडीसी फर्जीवाडे में एफआईआर के इलावा अभी कृषि/बागवानी श्रेणी में दर्ज 25 वसीका रजिस्ट्रियों के मामले की असली पिक्चर अभी बाकी है। इन रजिस्ट्रियों में एनडीसी पोर्टल पर प्रॉपर्टी आईडी में भूमि श्रेणी ‘खेतीबाड़ी/बागवानी’ दर्शाई गई है। सूत्रों के मुताबिक अनाधिकृत क्षेत्रों की एनडीसी-कम-रजिस्ट्री आधारित फ़र्जीवाड़े में यहां नप को लाखों रुपये के प्रोपर्टी टैक्स व सलाना प्रोपर्टी टैक्स का आर्थिक नुकसान हुआ है, वहीं कृषि भूमि दर्शाने से भी दोनों विभागों की आर्थिकता प्रभावित हुई है।

नयी आईडी सुविधा से होता है ‘खेला’

सूत्रों के मुताबिक यह सारा खेला पोर्टल पर खोज ऑप्शन में संपत्ति आईडी न मिलने पर नयी आईडी बनाने की सुविधा के माध्यम से किया जाता है। ताकि गत 15 वर्षों का तयशुदा 25 पैसे प्रति प्रॉपर्टी टैक्स और अनुमानित एकमुश्त 82 प्रतिशत ब्याज, विकास शुल्क व भविष्य के प्रॉपर्टी टैक्स आदि बचाया जा सके। बताया जाता है कि एनडीसी पोर्टल पर ओटीपी के माध्यम से ‘स्व-घोषणा’ कर खेला किया गया। ओटीपी मोबाइलकर्ता की ही असल भूमिका मानी जाती है।

 

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