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एनसीआर के बदलेगा ट्रांसपोर्ट सिस्टम, द्वार पर मिलेगा साधन

‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ पर फोकस, प्रोजेक्ट के लिए मॉडल बनेगा गुरुग्राम

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केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल। -फाइल फोटो
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एनसीआर के शहरों में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को कारगर बनाने के लिए सरकार अब ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ पर फोकस कर रही है। मेट्रो और रैपिड रेल नेटवर्क के बावजूद यात्रियों की सबसे बड़ी समस्या घर से स्टेशन और स्टेशन से ऑफिस तक पहुंचने की रही है। इसी कमी को पूरा करने के लिए मेट्रो के साथ ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’ का नया मॉडल तैयार किया जा रहा है। इसके जरिये एनसीआर के लाखों लोगों को ‘डोर टू डोर’ यात्रा के साधन की सुविधा मिलने का रास्ता खुलेगा।

राष्ट्रीय राजधानी से सटा गुरुग्राम इस प्रोजेक्ट के लिए मॉडल बनेगा। राजधानी नयी दिल्ली में भी इस योजना की शुरुआत होगी। शहरी विकास मंत्रालय ने इसके लिए एप पर काम शुरू कर दिया है। जल्द ही इसे लागू करने की भी योजना है।

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क्या है ‘लास्ट माइल कनेक्टिविटी’

यात्रियों को मेट्रो स्टेशन से सीधे ऑफिस/ कॉलोनी तक ले जाने के लिए फीडर बसें, ई-रिक्शा, कैब व बाइक उपलब्ध होंगे। मोबाइल एप के जरिये बाइक टैक्सी और ऑटो तुरंत बुक किए जा सकेंगे। स्टेशन पर साइकिल और ई-बाइक स्टैंड बनाए जाएंगे, ताकि प्रोफेशनल्स और स्टूडेंट्स अल्प दूरी आसानी से तय कर सकें। भीड़भाड़ वाले इलाकों में स्टेशन को मॉल्स और ऑफिस हब से जोड़ने के लिए स्काईवॉक और पैदल मार्ग बनाए जाएंगे।

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फरीदाबाद-नोएडा को भी मिलेगा लाभ

गुरुग्राम व दिल्ली के साथ फरीदाबाद, नोएडा, गाजियाबाद और ग्रेटर नोएडा जैसे शहरों में भी यही मॉडल लागू किया जाएगा। फरीदाबाद के औद्योगिक इलाकों को फीडर बस और ई-रिक्शा से जोड़ा जाएगा। नोएडा में पहले से मौजूद मेट्रो नेटवर्क को स्मार्ट साइकिल और शेयरिंग ऑटो सेवा से मजबूत किया जाएगा। गाजियाबाद में रैपिड रेल कॉरिडोर से जुड़ने वाले स्टेशनों को टैक्सी और कैब हब से कनेक्ट किया जाएगा।

पीपीपी मॉडल पर जोर

शहरी विकास मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि हर मेट्रो प्रोजेक्ट के साथ लास्ट माइल कनेक्टिविटी प्लान अनिवार्य होगा। इसके लिए पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) मॉडल अपनाया जाएगा। हर स्टेशन पर मल्टी-मॉडल हब विकसित होंगे, जहां से बस, ऑटो, कैब और ई-रिक्शा आसानी से मिलेंगे। स्मार्टफोन एप के जरिए यात्री एक क्लिक में पूरा सफर प्लान कर सकेंगे।

बिल्डर्स का सहयोग

लास्ट माइल कनेक्टिविटी को सफल बनाने में निजी बिल्डर्स और डेवलपर्स अहम भूमिका निभाएंगे। बड़ी हाउसिंग सोसायटी और कॉर्पोरेट ऑफिस अपने स्तर पर शटल सेवाएं और इलेक्ट्रिक वैन चलाएंगे। कई बिल्डर्स पहले ही अपनी टाउनशिप में साइकिल शेयरिंग और कैब स्टैंड उपलब्ध करा चुके हैं। सरकार बिल्डर्स को प्रोत्साहन और टैक्स छूट देकर उन्हें इस योजना में और सक्रिय करेगी।

लास्ट माइल कनेक्टिविटी ही वह लिंक है, जो मेट्रो को सफल बनाएगी। अगर घर से स्टेशन तक पहुंचना आसान नहीं होगा तो लोग निजी गाड़ियों का इस्तेमाल करते रहेंगे। हमारा लक्ष्य है कि सार्वजनिक परिवहन लोगों की पहली पसंद बने। लास्ट माइल कनेक्टिविटी न केवल गुरुग्राम व दिल्ली, बल्कि पूरे एनसीआर के लिए ट्रांसपोर्ट का नया मॉडल साबित होगी।

-मनोहर लाल, केंद्रीय शहरी विकास मंत्री

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