नयी दिल्ली, 27 अगस्त (एजेंसी)
सुप्रीमकोर्ट ने बृहस्पतिवार को कहा कि तबलीगी जमात के समागम को लेकर मीडिया के एक वर्ग द्वारा कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने की शिकायतों पर पहले नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन (एनबीए) जैसी संस्था को प्रारंभिक जांच करनी चाहिए। न्यायालय ने इससे पहले मीडिया के एक वर्ग द्वारा दिल्ली में इस आयोजन को लेकर कथित रूप से सांप्रदायिक नफरत फैलाने के आरोपों के बारे में नेशनल ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन और भारतीय प्रेस परिषद से रिपोर्ट मांगी थी। न्यायालय में ये आरोप जमीअत उलेमा-ए-हिन्द और पीस पार्टी की याचिकाओं में लगाये गये थे। चीफ जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस ए एस बोपन्ना और जस्टिस वी रामासुब्रमणियन की 3 स्दस्यीय पीठ ने इस मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि अगर इस तरह के मुद्दों पर विचार के लिये कोई संस्था है तो पहले उसे इस पर गौर करना चाहिए। पीठ ने मुस्लिम संगठनों के वकीलों से जानना चाहा कि वे राष्ट्रीय ब्राडकास्टिग एसोसिएशन जैसी नियामक संस्था के पास क्यों नहीं गये। वीडियो कांफ्रेंस के माध्यम से इन याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा, ‘‘अगर इस तरह के मुद्दे पर विचार के लिये एक संस्था है तो आप पहले उसके पास क्यों नहीं जा सकते। हम कार्रवाई का विरोध नहीं कर रहे हैं लेकिन पहले इनका सत्यापन होना चाहिए।” याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इस सुझाव से सहमत नहीं थे। उन्होंने कहा कि सरकार को संबंधित कानून के तहत कार्रवाई करनी चाहिए। इस पर एनबीए के वकील ने कहा कि उसे शिकायतें मिली हैं और मीडिया समूहों के खिलाफ कई शिकायतों का संज्ञान लिया गया है। इस नियामक संस्था के वकील ने कहा कि एनबीए कोई कंपनी नहीं है। इस संस्था की अध्यक्षता शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश ए के सीकरी कर रहे हैं