कई हमलों का मास्टरमाइंड नक्सली कमांडर हिडमा ढेर
बस्तर के एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिडमा और उसकी पत्नी राजे, आज सुबह आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारामराजू जिले के मरेदुमिल्ली के जंगल में हुई मुठभेड़ में मारे गए छह नक्सलियों में शामिल हैं।
सुकमा जिले के पूवर्ती गांव के मूल निवासी हिडमा की उम्र और रूप-रंग सुरक्षा एजेंसियों के बीच लंबे समय तक अटकलों का विषय रहा। यह सिलसिला इस वर्ष की शुरुआत में उसकी तस्वीर सामने आने तक जारी रहा। हिड़मा ने कई वर्षों तक माओवादियों की पीपुल्स लिबरेशन गुरिल्ला आर्मी (पीएलजीए) बटालियन नंबर एक का नेतृत्व किया। यह बटालियन दंडकारण्य में माओवादी संगठन का सबसे मजबूत सैन्य दस्ता है। दंडकारण्य छत्तीसगढ़ के बस्तर के अलावा आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, तेलंगाना और महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में फैला हुआ है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, हिड़मा को पिछले वर्ष माओवादियों की केंद्रीय समिति में पदोन्नत किया गया था। वह 2010 में हुए ताड़मेटला हमले के बाद पहली बार सुरक्षा एजेंसियों की नजर में आया। इस हमले में 76 जवान मारे गए थे। तब से बस्तर में सुरक्षाबलों पर हुए हर बड़े हमले के बाद हिड़मा का नाम बार-बार सामने आया। गुरिल्ला युद्ध में प्रशिक्षित, हिडमा एके-47 राइफल रखने के लिए जाना जाता था। उसकी टुकड़ी में कई सौ जवान आधुनिक हथियारों से लैस थे। जंगलों के अंदर उसके चार-स्तरीय सुरक्षा घेरे के कारण वह वर्षों तक सुरक्षाबलों की पहुंच से दूर रहा। वह 2017 में बुरकापाल में हुए हमले का भी आरोपी था, जिसमें सीआरपीएफ के 24 जवान शहीद हो गए थे।
पुलिस के मुताबिक उसकी पत्नी राजे भी उसी बटालियन में सक्रिय थी और लगभग हर बड़े माओवादी हमले में शामिल थी।
