मुंबई (एजेंसी) : मुंबई की एक विशेष अदालत ने महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक और पूर्व मंत्री अनिल देशमुख द्वारा दायर उन अर्जियों को बृहस्पतिवार को खारिज कर दिया, जिसमें दोनों ने शुक्रवार को होने वाले राज्यसभा चुनाव में मतदान के लिए एक दिन की जमानत का अनुरोध किया था। देशमुख और मलिक, दोनों राकांपा के वरिष्ठ नेता हैं और वर्तमान में ईडी द्वारा जांच किए जा रहे विभिन्न धनशोधन मामलों के सिलसिले में जेल में बंद हैं। दोनों ने पिछले सप्ताह विशेष न्यायाधीश आर एन रोकडे के समक्ष अस्थायी जमानत के लिए अर्जी दायर की थी। इस बीच, मतदान के वास्ते एक दिन की जमानत देने से मुंबई की एक विशेष अदालत द्वारा इनकार किये जाने के बाद नवाब मलिक और अनिल देशमुख ने राहत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।