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Navratri 1st Day : पहले दिन की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा, ऐसे करें माता को प्रसन्न

Navratri 1st Day : पहले दिन की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा, ऐसे करें माता को प्रसन्न
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चंडीगढ़, 29 मार्च (ट्रिन्यू)

Navratri 1st Day : माता शैलपुत्री हिंदू धर्म की प्रमुख देवी और नवदुर्गा की पहला रूप हैं। इन्हें "शैलपुत्री" के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है "पहाड़ों की पुत्री"। इनका वास स्थान हिमालय पर्वत है। देवी शैलपुत्री की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि के पहले दिन की जाती है। शैलपुत्री का रूप बेहद शांति और सौम्यता से भरा हुआ है।

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माता शैलपुत्री का स्वरूप

माता शैलपुत्री का रूप बहुत ही आकर्षक और दिव्य होता है। उनका शरीर सफेद और शीतल होता है, जो शांति व सौम्यता का प्रतीक है। उनके हाथों में त्रिशूल और कमल का फूल होता है। वे अक्सर एक सिंह पर सवार होती हैं, जो उनका वाहन है। इस रूप में, माता शैलपुत्री अपने भक्तों को सुरक्षा, आशीर्वाद और शक्ति प्रदान करती हैं।

शैलपुत्री का इतिहास

माता शैलपुत्री का जन्म देवी पार्वती के रूप में हुआ था। प्राचीन कथाओं के अनुसार, जब देवी सती ने भगवान शिव के साथ विवाह किया था, तब उनके पिता राजा दक्ष ने शिव का अपमान किया था। इस कारण सती ने आत्मदाह कर लिया था। इसके बाद, सती ने हिमालय पर्वत पर जन्म लिया और "शैलपुत्री" के नाम से प्रसिद्ध हुईं। इसके बाद, उन्हें भगवान शिव ने अपनी पत्नी के रूप में स्वीकार किया। उनके इस रूप को "शैलपुत्री" कहा जाता है।

पूजा विधि और महत्व

नवरात्रि के पहले दिन भक्त शैलपुत्री का पूजन बड़े श्रद्धा भाव से करते हैं। इस दिन विशेष रूप से दिनभर उपवासी रहकर व्रत किया जाता है। पूजा में शैलपुत्री के मंत्र का जाप और ताजे फूलों से उनका पूजन किया जाता है। माना जाता है कि इस पूजा से समस्त दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।

शैलपुत्री का महत्व

माता शैलपुत्री का महत्व हर क्षेत्र में अत्यधिक है। उनका पूजन विशेष रूप से आत्मिक शक्ति और मानसिक शांति के लिए किया जाता है। वे साक्षात शक्ति और संजीवनी की देवी मानी जाती हैं। जब भी कोई व्यक्ति जीवन में कठिनाइयों का सामना करता है, तो वे माता शैलपुत्री की आराधना कर अपने जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति करता है।

देवी शैलपुत्री का स्रोत पाठ

प्रथम दुर्गा त्वंहि भवसागर: तारणीम्।

धन ऐश्वर्य दायिनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यम्॥

त्रिलोजननी त्वंहि परमानंद प्रदीयमान्।

सौभाग्यरोग्य दायनी शैलपुत्री प्रणमाभ्यहम्॥

चराचरेश्वरी त्वंहि महामोह: विनाशिन।

मुक्ति भुक्ति दायनीं शैलपुत्री प्रमनाम्यहम्॥

मंत्र - 'ओम् शं शैलपुत्री देव्यै: नम:।'

श्लोक - टवन्दे वंछितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् | वृषारूढाम् शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्ट

मां शैलपुत्री को ऐसे करें प्रसन्न

मां शैलपुत्री की पूजा में गाय के घी से दीपक जलाएं। साथ ही उन्हें सफेद रंग का भोज लगाएं और फूल अर्पित करें क्योंकि मां को सफेद रंग अतिप्रिय है। आप चाहे तो माता को खीर का भोग भी लगा सकते हैं। साथ ही मां शैलपुत्री को बेलपत्र अर्पित करें।

डिस्केलमनर: यह लेख/खबर धार्मिक व सामाजिक मान्यता पर आधारित है। dainiktribneonline.com इस तरह की बात की पुष्टि नहीं करता है।

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