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National Herald Case : अदालत में सोनिया गांधी के वकील का तीखा बयान, ईडी के केस को बताया अजीबों-गरीब

नेशनल हेराल्ड: सोनिया गांधी ने अदालत में ईडी के मामले को बहुत ही अजीब बताया
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नयी दिल्ली, 4 जुलाई (भाषा)

National Herald Case : नेशनल हेराल्ड मामले में कांग्रेस नेता सोनिया गांधी की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने शुक्रवार को कहा कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का मामला ‘‘वास्तव में एक अजीब'' मामला है।

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ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एस वी राजू द्वारा तीन जुलाई को मामले में दायर आरोपपत्र के संज्ञान के बिंदु पर अपनी दलीलें पूरी किए जाने के बाद सिंघवी ने यह बात कही। सिंघवी ने कहा, ‘‘यह वास्तव में एक अजीब मामला है। अजीब से भी अधिक। अभूतपूर्व। यह बिना किसी संपत्ति, बिना किसी उपयोग या संपत्ति प्रयोजन के, धनशोधन का एक कथित मामला है।''

ईडी ने सोनिया और राहुल गांधी, दिवंगत कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा और ऑस्कर फर्नांडीस के अलावा सुमन दुबे, सैम पित्रोदा और निजी कंपनी यंग इंडियन पर नेशनल हेराल्ड अखबार प्रकाशित करने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की 2,000 करोड़ रुपये से अधिक मूल्य की संपत्तियों के धोखाधड़ी से अधिग्रहण को लेकर साजिश और धनशोधन का आरोप लगाया है।

प्रवर्तन निदेशालय का आरोप है कि गांधी परिवार के पास यंग इंडियन के 76 प्रतिशत शेयर थे, जिसने 90 करोड़ रुपये के ऋण के बदले में धोखाधड़ी से एजेएल की संपत्ति हड़प ली। हालांकि, सिंघवी ने कहा कि यह कवायद एजेएल को कर्ज मुक्त बनाने के लिए की गई थी।

सिंघवी ने कहा, ‘‘हर कंपनी को कानून के तहत यह अधिकार प्राप्त है और वह हर दिन विभिन्न प्रकार के साधनों के माध्यम से अपनी कंपनी को मुक्त करती है। इसलिए आप कर्ज लेकर उसे किसी अन्य इकाई को सौंप देते हैं। इस प्रकार यह कंपनी कर्ज मुक्त हो जाती है।'' उन्होंने कहा कि यंग इंडियन एक गैर-लाभकारी कंपनी है।

वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा, ‘‘इसका मतलब है कि यह लाभांश नहीं दे सकती, यह भत्ते नहीं दे सकती, यह वेतन नहीं दे सकती, यह बोनस नहीं दे सकती। यह कुछ भी नहीं दे सकती।'' सिंघवी ने कहा कि ईडी ने कई वर्षों तक कुछ नहीं किया और इसके बजाय एक निजी शिकायत दर्ज की।

उन्होंने विभिन्न तर्क दिए जिनके आधार पर उन्होंने कहा कि वर्तमान अदालत को इस मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं है। तीन जुलाई को राजू ने आरोपपत्र के संज्ञान के बिंदु पर तर्क देते हुए कहा कि गांधी परिवार यंग इंडियन का ‘‘लाभकारी मालिक'' है और अन्य शेयरधारकों की मृत्यु के बाद उसने इसका पूर्ण नियंत्रण हासिल कर लिया। ईडी ने गांधी परिवार और अन्य के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 3 (धनशोधन) और 4 (धनशोधन के लिए सजा) के तहत आरोपपत्र दायर किया।

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