चेन्नई ,17 जून (एजेंसी)
हाईकोर्ट्स के पास सुप्रीम कोर्ट जैसी विशेष शक्ति नहीं होने का जिक्र करते हुए मद्रास हाईकोर्ट ने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के मामले में दोषी करार दी गईं नलिनी श्रीहरन और रविचंद्रन की याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी, जिसमें तमिलनाडु के राज्यपाल की सहमति के बिना उनकी रिहाई का आदेश जारी करने का अनुरोध किया गया था।
चीफ जस्टिस एमएन भंडारी और जस्टिस एन माला की प्रथम पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट्स के पास संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत ऐसा करने की शक्ति नहीं है, जबकि सुप्रीम कोर्ट को अनुच्छेद 142 के तहत यह विशेष शक्ति प्राप्त है। पीठ ने नलिनी और रविचंद्रन की दो रिट याचिकाएं शुक्रवार को खारिज कर दी। सुप्रीम कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत प्राप्त विशेष शक्ति का इस्तेमाल करते हुए इसी मामले में एक अन्य दोषी एजी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश दिया था। नलिनी और रविचंद्रन ने दलील दी कि हाईकोर्ट द्वारा भी यही मापदंड अपनाया जाना चाहिए।
पूर्ववर्ती अन्नाद्रमुक मंत्रिमंडल ने मामले के सभी सातों आरोपियों को सितंबर 2018 में समय से पहले रिहा करने की सिफारिश की थी और इस सिलसिले में राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को एक सिफारिश भेजी थी। चूंकि राज्यपाल की ओर से कोई जवाब नहीं आया, इसलिए दोषियों ने अपनी रिहाई के लिए राज्यपाल को निर्देश जारी कराने के लिए मद्रास हाईकोर्ट का रुख किया था। हालांकि, उनकी याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी थी, जिसके बाद उन्होंने राज्यपाल की सहमति के बगैर रिहाई के लिए मौजूदा याचिकाएं दायर की थी।
यहां उल्लेखनीय है कि पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में पेरारिवलन के अलावा, मुरूगन, संतन, रॉबर्ट पायस, रविचंद्रन, जयकुमार और नलिनी को दोषी करार दिया गया था। पेरारिवलन को छोड़कर अन्य छह दोषी वर्तमान में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।