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Nai Udaan : आत्मनिर्भरता की राह पर मध्यप्रदेश की बेटियां, अब खुद तय कर रही शादी की उम्र

मध्यप्रदेश में 21 की उम्र के बाद शादी पर जोर दे रही हैं लड़कियां, आत्मनिर्भरता को तरजीह: सर्वेक्षण

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Madhya Pradesh : मध्यप्रदेश में पिछले कुछ वर्षों में शादी के प्रति लड़कियों के सामाजिक दृष्टिकोण में उल्लेखनीय बदलाव आया है। वर्ष 2020 में जहां 56 प्रतिशत लड़कियां 21 की उम्र के बाद अपना घर बसाती थीं तो केंद्र सरकार के एक ताजा आंकड़े में यह प्रतिशत बढ़ कर 62.5 पर पहुंच गया है। विशेषज्ञों का मानना है यह बदलाव संभवतः इसलिए प्रतीत हो रहा है क्योंकि लड़कियां विवाह से अधिक पढ़ाई और करियर को तरजीह दे रही हैं और कहीं न कहीं सरकार की योजनाएं उन्हें इसमें संबल प्रदान कर रही हैं।

केंद्र सरकार के नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस)-2023 के इस सर्वेक्षण का एक पहलू यह भी सामने आया है कि 18 वर्ष के भीतर लड़कियों की शादी की दर में कोई खास बदलाव नहीं आया है। भारत के महापंजीयक कार्यालय द्वारा आयोजित एसआरएस एक बड़े पैमाने पर जनसांख्यिकीय सर्वेक्षण है, जो आयु, लैंगिक और वैवाहिक आधार पर जनसंख्या से संबंधित आंकड़े एकत्रित करता है। हाल में जारी एसआरएस-2023 के मुताबिक मध्यप्रदेश में 62.5 फीसदी लड़कियां 21 साल के बाद शादी को तरजीह दे रही हैं।

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हालांकि, इन आंकड़ों के अनुसार ग्रामीण और शहरी क्षेत्र की लड़कियों में शादी के प्रति रुख को लेकर काफी अंतर है। आंकड़ों के अनुसार मध्यप्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों की 57.5 प्रतिशत लड़कियां ही 21 की उम्र के बाद विवाह कर रही हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में यह 80.2 प्रतिशत है। इक्कीस की उम्र के बाद लड़कियों की शादी का राष्ट्रीय औसत 72.2 प्रतिशत है और मध्यप्रदेश इससे पीछे है। हालांकि, एसआरएस-2020 के आंकड़ों पर गौर करें तो मध्यप्रदेश की स्थिति में सुधार आया है। वर्ष 2020 के आंकड़ों के मुताबिक 56.2 प्रतिशत लड़कियां 21 की उम्र के बाद शादी करती थीं।

ग्रामीण क्षेत्रों में यह आंकड़ा 52.1 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 69.8 प्रतिशत था। इन आंकड़ों पर गौर किया जाए तो पता चलता है कि शहरी क्षेत्रों में शादी की उम्र को लेकर बड़ा बदलाव आया है जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी सुधार की बहुत गुंजाइश है। एसआरएस-2023 में जहां 18 साल से कम उम्र में शादी करने वाली लड़कियों का प्रतिशत 2.0 है, वहीं 2020 की रिपोर्ट में यह आंकड़ा 2.1 प्रतिशत था। इन आंकड़ों के मुताबिक 18 से 20 वर्ष की उम्र में लड़कियों की शादी का प्रतिशत 2020 में 41.7 प्रतिशत था जो 2023 की रिपोर्ट के अनुसार 35.6 पहुंच गया।

विशेषज्ञ बताते हैं कि लड़कियों में 21 के बाद शादी का बढ़ रहा रुझान दर्शाता है कि लड़कियां शिक्षित हो रही हैं और रोजगार हासिल कर आत्मनिर्भर बनना चाहती हैं। मध्यप्रदेश महिला एवं बाल विकास विभाग की पूर्व उपसंचालक मंजुला तिवारी ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, ‘‘लड़कियों की सोच ही नहीं बल्कि परिजनों और समाज की सोच में भी बदलाव आया है। लोग लड़कियों की शिक्षा और कौशल विकास पर जोर दे रहे हैं। लड़कियां भी शादी से पहले खुद को आत्मनिर्भर बनाना चाह रही हैं।'' उन्होंने कहा कि इसी वजह से यह बदलाव आया है।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की प्रदेश प्रवक्ता नेहा बग्गा ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा कि परिवार हो या व्यक्तिगत सोच, लड़कियां पहले अपने पैरों पर खड़े होने को प्रमुखता दे रही हैं। उन्होंने कहा कि इसके साथ ही राज्य सरकार की लाड़ली लक्ष्मी जैसी योजनाएं उन्हें इसके लिए प्रोत्साहित कर रही हैं और बाल विवाह को रोकने में सकारात्मक साबित हो रही हैं। प्रदेश में बाल विवाह न हो, इसके लिए राज्य सरकार ने लाड़ली लक्ष्मी योजना पर बल दिया है। इस योजना में प्रारंभ से ही यह प्रावधान है कि बालिका की आयु 21 वर्ष होने पर दिए जाने वाली एकमुश्त राशि का लाभ उस स्थिति में देय होगा, जब बालिका का विवाह 18 वर्ष से पहले न हुआ हो।

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए लड़कियां अब शिक्षा पर जोर दे रही हैं, नौकरी को प्राथमिकता दे रही हैं और फिर आत्मनिर्भर होकर आगे अपना भविष्य गढ़ रही हैं।'' हालांकि, तिवारी ने कहा कि लड़कियों की सोच में हो रहे इस बदलाव के पीछे यदि सरकार की नीतियां वजह होतीं तो फिर ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के आंकड़ों के बीच अंतर नहीं होता। उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियों से अधिक बढ़ते सामाजिक मूल्यों का इसमें अहम योगदान है।

कांग्रेस की प्रदेश प्रवक्ता अपराजिता पांडे ने भी कहा कि यह लड़कियों के साथ ही सामाजिक दृष्टिकोण में आ रहे बदलाव का नतीजा है। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छी शिक्षा हासिल करने और अपना कौशल विकास कर लड़कियां स्वयं को मजबूत करना चाहती हैं। वे अपनी विशिष्ट पहचान के साथ खुद को स्वतंत्र बनाने पर जोर दे रही हैं।'' उन्होंने दावा किया कि घरेलू हिंसा, उत्पीड़न और दहेज हत्या के मामलों की बढ़ती संख्या ने महिलाओं को यह एहसास कराया है कि आर्थिक रूप से स्वतंत्र होना उनके लिए कितना महत्वपूर्ण है।

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