म्यूनिख हवाई अड्डा क्षेत्र में ड्रोन देखे जाने के बाद अस्थायी रूप से बंद, 17 उड़ानें नहीं भर सकीं उड़ान
अधिकारी तत्काल इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाए कि इस तरह की घटनाओं के पीछे किसका हाथ है
म्यूनिख हवाई अड्डे को देर रात अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि क्षेत्र में ड्रोन देखे जाने के बाद यह फैसला लिया गया। यह यूरोपीय संघ के सदस्य देशों के हवाई क्षेत्र में ड्रोन दिखने की नवीनतम घटना थी।
हवाई अड्डा संचालकों ने एक बयान में कहा कि जर्मनी के हवाई यातायात नियंत्रण ने रात 10 बजे के बाद हवाई अड्डे पर उड़ानों पर प्रतिबंध लगा दिया। फिर उन्हें पूरी तरह से रोक दिया। म्यूनिख हवाई अड्डे पर जर्मनी की संघीय पुलिस के प्रवक्ता स्टीफन बायर ने बताया कि स्थानीय समयानुसार सुबह 5 बजे हवाई अड्डे से उड़ानों का परिचालन फिर से शुरू हो गया।
अधिकारी तत्काल इस बारे में कोई जानकारी नहीं दे पाए कि इस तरह की घटनाओं के पीछे किसका हाथ है। हवाई अड्डे की वेबसाइट से पता चला कि शुक्रवार को कुछ उड़ानें जल्दी ही रवाना हो गईं। 17 उड़ानें उड़ान नहीं भर सकीं, जिससे लगभग 3,000 यात्री प्रभावित हुए। 15 आने वाली उड़ानों को जर्मनी के तीन अन्य हवाई अड्डों तथा ऑस्ट्रिया के वियना के एक हवाई अड्डे पर भेज दिया गया।
जर्मन समाचार एजेंसी डीपीए की रिपोर्ट के अनुसार, फंसे हुए सैकड़ों यात्रियों ने टर्मिनलों में रखी गई कुर्सियों पर रात बिताई या उन्हें होटलों में ले जाया गया। उन्हें कंबल, पेय और खाने का सामान वितरित किया गए। यह, यूरोप में हवाई अड्डों तथा अन्य महत्वपूर्ण अवसंरचना स्थलों पर ड्रोन देखे जाने की घटनाओं की श्रृंखला में एक नई घटना है। फिलहाल यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि इस तरह की घटनाओं के पीछे किसका हाथ है, लेकिन यूरोपीय अधिकारियों ने चिंता व्यक्त की है कि इसके पीछे रूस हो सकता है।
रूसी अधिकारियों ने डेनमार्क में हाल ही में हुई ड्रोन घटनाओं में शामिल होने के दावों को खारिज कर दिया है। रूस और बेलारूस के अधिकारियों ने पिछले महीने स्वीकार किया था कि यूक्रेन में रूस के युद्ध के दौरान इस्तेमाल किए गए कुछ ड्रोन यूरोपीय संघ और नाटो के सदस्य पोलैंड के क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे, जिसके बाद पोलैंड और नाटो सहयोगियों ने उन्हें मार गिराने के लिए लड़ाकू जेट तैनात किए थे। इस सप्ताह डेनमार्क के कोपेनहेगन में यूरोपीय संघ और यूरोपीय नेताओं के शिखर सम्मेलन में ड्रोन उड़ानों का मुद्दा प्रमुख रहा।