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Mother Dignity जहां मां की ममता अब झिझकती नहीं, मुस्कुराती हैं

मातृत्व को मिली नयी छांव : सिक्किम सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर बनाएं स्तनपान पॉड गंगटोक, 8 जुलाई (एजेंसी) भीड़भाड़ वाले बाजारों में बच्चे को गोद में लिए एक मां की बेचैनी—कभी किसी दुकान के कोने में, कभी दीवार की...
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मातृत्व को मिली नयी छांव : सिक्किम सरकार ने सार्वजनिक स्थानों पर बनाएं स्तनपान पॉड

गंगटोक, 8 जुलाई (एजेंसी)

भीड़भाड़ वाले बाजारों में बच्चे को गोद में लिए एक मां की बेचैनी—कभी किसी दुकान के कोने में, कभी दीवार की आड़ में और कभी मजबूरी में सार्वजनिक शौचालय तक में जाकर दूध पिलाना—ये दृश्य अब सिक्किम में धीरे-धीरे बीते कल का हिस्सा बनते जा रहे हैं। राज्य सरकार की एक संवेदनशील पहल ने मातृत्व को सार्वजनिक जीवन में वह स्थान देना शुरू किया है, जिसकी वह सदा हकदार रही है।

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सिक्किम के महिला, बाल, वरिष्ठ नागरिक और दिव्यांग कल्याण विभाग ने राज्य के पांच प्रमुख जिलों में ‘स्तनपान पॉड’ स्थापित किए है। साफ-सुथरे, सुरक्षित और पूरी तरह निजी छोटे केबिन, जहां मां अपने बच्चे को सम्मान और सुकून के साथ दूध पिला सकती हैं। एक और पॉड गंगटोक में जिला प्रशासन द्वारा चलाया जा रहा है, और छठे जिले ग्यालशिंग में भी जल्द यह सुविधा शुरू होने जा रही है।

तीन जुलाई को पाक्योंग जिले में नवीनतम पॉड का उद्घाटन हुआ, जहां कई महिलाएं इसे देखने और अपनाने पहुंचीं। फेरी लगाकर जीवन चलाने वाली शनी तमांग जैसी माताएं कहती हैं कि यह पॉड हमारे लिए वरदान है। अब हमें संकोच नहीं होता, गर्व होता है। विभाग की संयुक्त निदेशक पेमा ल्हामू बताती हैं कि यह पहल एक छोटी-सी बातचीत से उपजी।

'मंगन में एक महिला अपने नवजात को बोतल से दूध पिला रही थी। जब कारण पूछा गया तो उसने कहा—‘पब्लिक में स्तनपान कराते शर्म आती है।’ बस, यहीं से हमने ठान लिया कि इस शर्म को गरिमा में बदलना है।'

यह सिर्फ एक बुनियादी सुविधा नहीं, बल्कि सामाजिक सोच में एक सशक्त हस्तक्षेप है। सिंगताम की बुजुर्ग कंचन गुरुंग कहती हैं, श्हमारे ज़माने में ऐसी कल्पना भी नहीं थी। इमारतों के पीछे छिपकर बच्चों को दूध पिलाते थे। अब की पीढ़ी भाग्यशाली है।'

‘स्तनपान पॉड’ अब सिर्फ एक शब्द नहीं, बल्कि हर मां के आत्मसम्मान, सुविधा और सुरक्षा का प्रतीक बनते जा रहे हैं। प्रशासन का लक्ष्य है कि राज्य के हर जिला और उप-मंडल में ये पॉड हों। क्योंकि जब एक मां संकोच छोड़कर आत्मविश्वास से अपने बच्चे को गोद में लेती है—तो सिर्फ एक बच्चा नहीं, एक समाज सुरक्षित होता है।

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