हंगामे में ‘बह गया’ संसद का मानसून सत्र
लोकसभा और राज्यसभा की बैठकें बृहस्पतिवार को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गईं। लोकसभा में 12 विधेयकों को बिना चर्चा के या संक्षिप्त चर्चा के साथ पारित किया गया। अठारहवीं लोकसभा के पांचवें सत्र की शुरुआत 21 जुलाई को हुई थी। सत्र की शुरुआत से ही बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के मुद्दे पर विपक्षी दलों ने सदन में लगातार नारेबाजी की जिससे कामकाज प्रभावित हुआ। विपक्ष के शोर-शराबे के कारण कुछ विधेयक संक्षिप्त चर्चा के साथ और कुछ बिना चर्चा के ही पारित कर दिए गए। सदन में 28 और 29 जुलाई को ऑपरेशन सिंदूर पर विशेष चर्चा बिना किसी व्यवधान के पूरी हुई जिसका जवाब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिया। बृहस्पतिवार को सदन में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री उपस्थित थे। सदन में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, पार्टी नेता केसी वेणुगोपाल आदि उपस्थित थे।
उधर, राज्यसभा का 268वां सत्र भी अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया गया। हंगामे के बीच कई महत्वपूर्ण विधेयकों को संक्षिप्त चर्चा के बाद पारित करवाया गया। सदन में केवल 41 घंटे 15 मिनट कामकाज हो पाया और सदन का कामकाज केवल 38.88 प्रतिशत रहा। उच्च सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने से पहले राष्ट्रगीत की धुन बजायी गयी। सत्र के पहले ही दिन निवर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने देर शाम स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को सौंप दिया था, जिसे बाद में स्वीकार कर लिया गया।
मोदी का कटाक्ष- कांग्रेस नेतृत्व में असुरक्षा का भाव
नियोजित व्यवधान डाला गया : ओम बिरला
सत्र का बार-बार बाधित होना दुर्भाग्यपूर्ण : हरिवंश
राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने अफसोस जताते हुए कहा, ‘आसन के भरसक प्रयासों के बावजूद, यह सत्र दुर्भाग्यवश बार-बार व्यवधानों के कारण बाधित रहा। इससे बार-बार कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी। इससे न केवल बहुमूल्य संसदीय समय की हानि हुई, बल्कि हमें लोक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा करने का अवसर भी नहीं मिला।’