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आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अगले सप्ताह मलेशिया में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ फोन पर बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि वह दोनों...

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह अगले सप्ताह मलेशिया में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में वर्चुअल माध्यम से भाग लेंगे। मलेशिया के प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम के साथ फोन पर बातचीत के बाद मोदी ने कहा कि वह दोनों पक्षों के बीच व्यापक रणनीतिक साझेदारी को और गहरा करने के लिए उत्सुक हैं।

एक आधिकारिक बयान के अनुसार, विदेश मंत्री एस जयशंकर 27 अक्तूबर को कुआलालंपुर में 20वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री की ओर से भारत का प्रतिनिधित्व करेंगे। दक्षिण-पूर्व एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है और भारत तथा अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके वार्ता साझेदार हैं। आसियान सदस्य देशों के अलावा, पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारत, चीन, जापान, कोरिया गणराज्य, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, अमेरिका और रूस शामिल हैं। आसियान की बैठकें कुआलालंपुर में 26 से 28 अक्तूबर तक होनी हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले कुछ वर्षों में आसियान-भारत शिखर सम्मेलन और पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया है। मलेशिया के प्रधानमंत्री इब्राहिम ने कहा कि मोदी ने उनसे कहा कि वह आसियान-भारत शिखर सम्मेलन में ऑनलाइन भाग लेंगे क्योंकि अभी दीपावली का त्योहार मनाया जा रहा है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि आसियान के साथ संबंधों को मजबूत करना भारत की ‘एक्ट ईस्ट’ नीति और ‘हिंद-प्रशांत दृष्टिकोण’ का एक प्रमुख स्तंभ है। आसियान के 10 सदस्य देशों में इंडोनेशिया, मलेशिया, फिलीपीन, सिंगापुर, थाईलैंड, ब्रुनेई, वियतनाम, लाओस, म्यांमा और कंबोडिया शामिल हैं। पिछले कुछ वर्षों में भारत और आसियान के बीच द्विपक्षीय संबंधों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जिसमें व्यापार और निवेश के साथ-साथ सुरक्षा और रक्षा क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया है।

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ट्रंप से सामना न हो इसलिए नहीं जा रहे पीएम : कांग्रेस

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कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया, ‘...अब यह तय हो गया है कि प्रधानमंत्री नहीं जाएंगे। प्रधानमंत्री मोदी के वहां नहीं जाने की वजह साफ़ है कि वह राष्ट्रपति ट्रंप के सामने नहीं आना चाहते, जो वहां मौजूद होंगे। उन्होंने कुछ हफ़्ते पहले मिस्र में गाज़ा शांति शिखर सम्मेलन में शामिल होने का निमंत्रण भी इसी वजह से ठुकरा दिया था। सोशल मीडिया पर राष्ट्रपति ट्रंप की तारीफ़ में संदेश पोस्ट करना एक बात है, लेकिन उस व्यक्ति के साथ आमने-सामने होना दूसरी बात है, जिसने ऑपरेशन सिंदूर रोकने का दावा 53 बार किया है और पांच बार यह कहा है कि भारत ने रूस से तेल ख़रीदना बंद करने का वादा किया है... यह उनके लिए काफ़ी जोखिम भरा है। प्रधानमंत्री शायद अब उस पुराने हिट बॉलीवुड गाने को याद कर रहे होंगे : बच के रहना रे बाबा, बच के रहना रे।’

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