नयी दिल्ली, 27 जून (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ में कोरोना रोधी टीकों को लेकर लोगों की आशंकाएं दूर करने का प्रयास किया और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की। मध्य प्रदेश के आदिवासी बहुल बैतूल जिले के डुलारिया गांव के लोगों से बात करते हुए प्रधानमंत्री ने अपना उदाहरण दिया और कहा कि मैंने दोनों खुराक ली हैं। मेरी माताजी लगभग 100 साल की हैं। उन्होंने भी दोनों खुराक ले ली हैं, इसलिए टीकों को लेकर किसी भी प्रकार की अफवाह पर ध्यान नहीं दें।
प्रधानमंत्री ने लोगों से टीका लगवाने की अपील करते हुए कहा कि साल भर, रात-दिन इतने बड़े-बड़े वैज्ञानिकों ने काम किया है। लोगों को विज्ञान और वैज्ञानिकों पर भरोसा करना चाहिए। कोरोना को लेकर लोगों में बढ़ती लापरवाही और नियमों का पालन न करने की घटनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस भ्रम में मत रहिए कि कोरोना वायरस समाप्त हो गया है।
उन्होंने कहा, ‘यह बीमारी बहुरूपिया है… रूप बदलती है… नये-नये रंग-रूप लेकर पहुंच जाती है। इससे बचाव के हमारे पास 2 ही रास्ते हैं। पहला रास्ता है- कोरोना वायरस संबंधी सभी प्रोटोकॉल का पालन करना और दूसरा रास्ता है टीकाकरण का।’
मोदी ने कहा कि गांव के हर व्यक्ति को टीका लगाना हर गांव का लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘निर्णायक सफलता का मंत्र है निरंतरता। हमें सुस्त नहीं पड़ना है, किसी भ्रांति में नहीं रहना और कोविड पर जीत हासिल करने के लिए सतत प्रयास करने हैं।’
पानी, वनस्पतियों के संरक्षण की अपील : प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण को देश सेवा का एक रूप बताया और देशवासियों से पानी बचाने की अपील की। उन्होंने वनस्पतियों को भारत की सदियों पुरानी विरासत बताते हुए इन्हें संजोने का भी आग्रह किया। जल संरक्षण के क्षेत्र में देश के विभिन्न हिस्सों में काम कर रहे लोगों से संवाद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, ‘इन सभी से प्रेरणा लेते हुए हम अपने आस-पास जिस भी तरह से पानी बचा सकते हैं, हमें बचाना चाहिए। माॅनसून के इस महत्वपूर्ण समय को हमें गंवाना नहीं है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, पृथ्वी पर ऐसी कोई वनस्पति ही नहीं है जिसमें कोई न कोई औषधीय गुण न हो और हमारे आस-पास ऐसे पेड़-पौधे होते हैं, जिनमें अद्भुत गुण होते हैं।
‘भारत प्रथम’ का मंत्र : प्रधानमंत्री ने आजादी के 75 वर्ष के अवसर पर मनाए जाने वाले अमृत-महोत्सव का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि आजादी के बाद के इस समय में ‘भारत प्रथम’ सभी के जीवन का मंत्र होना चाहिए और यही हर फैसले व निर्णय का आधार भी होना चाहिए। उन्होंने देशवासियों से अमृत-महोत्सव से संबंधित सभी कार्यक्रमों से जुड़ने का अनुरोध किया।