जयपुर स्थित सवाई मानसिंह (एसएमएस) अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर के न्यूरो आईसीयू में रविवार देर रात आग लगने से दो महिलाओं समेत छह मरीजों की जलने व दम घुटने से मौत हो गई। पीड़ितों के परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों पर घोर लापरवाही का आरोप लगाते हुए दावा किया आग फैलते ही वह भाग गए। मरीजों के रिश्तेदारों ने ट्रॉमा सेंटर के बाहर धरना दिया और उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा व गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढ़म की मौजूदगी में राज्य सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। राज्य सरकार ने जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित की है। ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी ने बताया कि आग लगने का संभावित कारण शॉर्ट सर्किट माना जा रहा है। दूसरी मंजिल पर स्टोर रूम से शुरू हुई आग तेजी से फैली। दमकलकर्मियों को आग पर काबू पाने में लगभग दो घंटे लगे। राज्य के डीजीपी राजीव शर्मा ने कहा कि जयपुर पुलिस आयुक्त को गहन जांच के लिए एफएसएल और अग्निशमन विभाग के विशेषज्ञों की विशेष टीम गठित करने का निर्देश दिया है। सरकार ने मृतकों के परिजन को 10-10 लाख रुपये का मुआवजा देने की घोषणा की है।एसएमएस राजस्थान का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है, जहां अन्य राज्यों से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। आग लगने से इमारत में अफरा-तफरी मच गई, धुआं तेजी से पूरी मंजिल पर फैल गया। मरीजों और उनके परिजनों में दहशत फैल गई। हादसे में मारे गये पिंटू नामक मरीज के चचेरे भाई ओमप्रकाश ने कहा, ‘धुआं देखकर हमने तुरंत कर्मचारियों को सूचित किया, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। करीब 20 मिनट बाद आग ने पूरे वार्ड को चपेट में ले लिया। मरीजों की मदद करने के बजाय, अस्पताल के कर्मचारी भाग गए।’ ओमप्रकाश ने बताया कि उनके भाई को बाहर निकालने में 90 मिनट से ज्यादा का समय लगा। ओमप्रकाश ने कहा, ‘उनका शरीर जला नहीं था, लेकिन धुएं से चेहरा काला पड़ गया था। जब हम उन्हें बाहर लाये, तब कोई डॉक्टर मौजूद नहीं था।’ जोगेंद्र नामक शख्स ने बताया कि धुआं इतना घना था कि कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था। उन्होंने कहा, ‘मेरे बड़े भाई ने अस्पताल के कर्मचारियों से टॉर्च लेकर मां को ढूंढा और बाहर निकाला। हम उन्हें बचा नहीं सके।’ ट्रॉमा सेंटर के बाहर मौजूद कुछ तीमारदारों ने घटना के तुरंत बाद अपने प्रियजनों को बचाने के लिए अंदर जाने की कोशिश की, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें पीछे धकेल दिया।वहीं, ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ ने कहा, ‘घटना के वक्त आईसीयू में 11 मरीज थे। पांच मरीजों को बचा लिया गया, लेकिन धुआं और जहरीली गैस तेजी से आईसीयू में फैल गई। हमारे पास अपने अग्निशमन उपकरण थे, जिनका हमने तुरंत इस्तेमाल किया।’ एक अन्य वरिष्ठ चिकित्सक ने कहा, ‘ड्यूटी पर मौजूद रेजिडेंट चिकित्सकों ने हमें बताया कि अचानक एक चिंगारी भड़की और उसके तुरंत बाद पूरा वार्ड धुएं से भर गया। नर्सिंग स्टाफ और वार्ड बॉय ने आईसीयू से मरीजों को निकालने के लिए तेजी से काम किया। हालांकि, आग और धुएं से दूसरे वार्डों में भी अफरा-तफरी मच गई।’ डॉ. जगदीश मोदी ने कहा, ‘तीमारदारों और अस्पताल के कर्मचारियों ने कई मरीजों को उनके बेड सहित सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया।’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घटना गहरा दुख व्यक्त किया। शाह ने कहा कि स्थानीय प्रशासन प्रभावित लोगों की सुरक्षा के लिए हर संभव कदम उठा रहा है।तीमारदारों ने मंत्रियों के सामने लगाए आरोप :राज्य के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, संसदीय कार्य मंत्री जोगाराम पटेल और गृह राज्य मंत्री जवाहर सिंह बेढम ने स्थिति का जायजा लेने के लिए ट्राॅमा सेंटर का दौरा किया। उनके सामने मरीजों के परिजनों ने अस्पताल के कर्मचारियों और पुलिस पर कई आरोप लगाए। स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर शाम को अस्पताल पहुंचे और घटनास्थल का जायजा लिया। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा कि इस मामले में किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा और सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने पीड़ितों को मुआवजा दिए जाने की बात भी की।विपक्ष ने कहा- सरकार की लापरवाहीपूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा, ‘पीड़ितों के परिजनों के साथ सरकार ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई। परिजनों ने बताया कि उनसे अभी तक सरकार के किसी प्रतिनिधि ने बात नहीं की है।’ विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने इस घटना को सरकार की लापरवाही बताया। कांग्रेस महासचिव और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी अस्पताल का दौरा किया। उन्होंने कहा, ‘राज्य के सबसे प्रसिद्ध अस्पताल में ऐसा हादसा निश्चित रूप से लापरवाही की वजह से हुआ है।’राज्य सरकार ने सोमवार देर शाम एसएमएस अस्पताल के अधीक्षक डॉ. सुशील भाटी और ट्रॉमा सेंटर प्रभारी डॉ. अनुराग धाकड़ को उनके पदों से हटा दिया। अस्पताल में तैनात एक्सईएन मुकेश सिंघल को निलंबित कर दिया गया। वहीं, फायर सेफ्टी एजेंसी ‘एसके इलेक्ट्रिक कंपनी' के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए हैं।