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शहीद कर्नल के फोन पर बेटे का मैसेज- पापा, एक बार आ जाओ...

अनंतनाग, 16 जून (एजेंसी) ‘पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पे चले जाना।’ सात-वर्षीय कबीर ने यह वॉयस मैसेज अपने पिता कर्नल मनप्रीत सिंह के नंबर पर हाल में भेजा है। वह मासूम इस कठोर सच्चाई से अनजान...
यादें... कर्नल मनजीत सिंह ने उस वक्त अपने बेटे कबीर और बेटी वाणी के नाम पर चिनार के पौधे रोपे थे। - प्रेट्र
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अनंतनाग, 16 जून (एजेंसी)

‘पापा बस एक बार आ जाओ, फिर मिशन पे चले जाना।’ सात-वर्षीय कबीर ने यह वॉयस मैसेज अपने पिता कर्नल मनप्रीत सिंह के नंबर पर हाल में भेजा है। वह मासूम इस कठोर सच्चाई से अनजान है कि उसके पिता अब कभी वापस नहीं आएंगे। अपने पिता के नंबर पर ऐसे कई संदेश वह अपनी मम्मी की नजरों से बचने के लिए फुसफुसाकर भी भेजता है। वह कई बार वीडियो कॉल करने की भी कोशिश करता है। कर्नल सिंह का वीरता भरा अंतिम अभियान पिछले वर्ष 13 सितंबर को था, जब उन्होंने अन्य सैनिकों के साथ गडूल गांव के आसपास के जंगलों में आतंकवादियों के साथ भीषण मुठभेड़ की थी। अपने साहस के बावजूद, कर्नल सिंह, मेजर आशीष धोंचक, जम्मू-कश्मीर पुलिस के उपाधीक्षक हुमायूं भट एवं सिपाही प्रदीप सिंह ने सर्वोच्च बलिदान दिया। इस बलिदान ने उन लोगों के दिलों में हमेशा के लिए एक खालीपन पैदा कर दिया, जो उन्हें (वीर सपूतों को) जानते और सराहते थे।

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उन्नीस-राष्ट्रीय राइफल्स (आरआर) इकाई के कमांडिंग अफसर कर्नल सिंह को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले के लार्कीपोरा, जालडूरा और कोकरनाग के सर्वाधिक आतंकवाद प्रभावित क्षेत्रों के एक नायक के रूप में याद किया जाता है। कई स्थानीय लोग उन्हें इन क्षेत्रों में बहादुरी, नेतृत्व और नि:स्वार्थ बलिदान के प्रतीक के रूप में याद करते हैं, जो मुख्य रूप से 19 आरआर का दायित्व क्षेत्र या सेना की भाषा में ‘एओआर’ है।

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