नयी दिल्ली, 8 जुलाई (एजेंसी)
कृषि उपज मंडी समितियां (एपीएमसी) अब बाजार क्षमता के विस्तार और किसानों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के लिए एक लाख करोड़ रुपये के कृषि बुनियादी ढांचा कोष से वित्तीय सुविधाएं ले सकेंगी। इसके लिए बृहस्पतिवार को मंत्रिमंडल की बैठक में केंद्रीय योजना में संशोधन को मंजूरी दी गयी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि इस निर्णय से मंडियां और मजबूत होंगी।
मंत्रिमंडल के निर्णय के बारे में जानकारी देते हुए तोमर ने कहा, ‘इस साल के बजट के दौरान हमने कहा था कि एपीएमसी व्यवस्था खत्म नहीं होगी, बल्कि उसे और मजबूत बनाया जाएगा। उसे ध्यान में रखते हुए मंत्रिमंडल ने आज एपीएमसी को कृषि बुनियादी ढांचा कोष (एआईएफ) के तहत एक लाख करोड़ रुपये की वित्त पोषण सुविधा के उपयोग को मंजूरी दे दी।’ मंत्री ने कहा कि यह आशंका जतायी जा रही थी कि एपीएमसी को खत्म कर दिया जाएगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि ये विनियमित मंडियां समाप्त नहीं होंगी। तीन कृषि कानूनों के लागू होने के बाद, एपीएमसी को इस कृषि बुनियादी ढांचा कोष से वित्तीय सुविधा प्राप्त होगी। एपीएमसी के लिये एक ही कृषि मंडी के भीतर कोल्ड स्टोरेज, साइलो, छंटाई, मानकीकरण, जांच-परख इकाइयां आदि विभिन्न बुनियादी ढांचा परियोजना के लिए 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता प्रदान की जाएगी। केवल एपीएमसी को ही नहीं, बल्कि इस कोष के तहत वित्तीय सुविधाएं राज्य एजेंसियों, राष्ट्रीय और राज्य महासंघों, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के साथ स्वयं सहायता समूह के महासंघ के लिए भी उपलब्ध होंगी। योजना में जो अन्य बदलाव किये गये हैं, उसमें वर्तमान में एक स्थान पर 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्रता है। उन्होंने कहा, ‘यदि एक पात्र इकाई विभिन्न स्थानों पर परियोजनाएं लगाती है, तो हर परियोजना 2 करोड़ रुपये तक के ऋण के लिए ब्याज सहायता की पात्र होगी।’ निजी क्षेत्र की इकाई के लिए ऐसी परियोजनाओं की अधिकतम सीमा 25 होगी।
कोविड से मुकाबले के लिए पैकेज : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए स्वास्थ्य आधारभूत ढांचा मजबूत बनाने के मकसद से 23,123 करोड़ रुपये के पैकेज को बृहस्पतिवार को मंजूरी दी। नव नियुक्त स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मंडाविया ने यह जानकारी दी। मंडाविया ने कहा कि इस पैकेज को अगले 9 महीने में मार्च 2022 तक लागू किया जाएगा। यह आपातकालीन प्रतिक्रिया एवं स्वास्थ्य प्रणाली तैयारी पैकेज का दूसरा चरण है।