हर नये स्मार्टफोन में ‘संचार साथी’ एप प्री-इंस्टॉल करने के अपने निर्देश को सरकार ने विवाद के बाद बुधवार को वापस ले लिया। यह कदम उन बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए उठाया गया है, जिनमें कहा गया था कि इससे उपयोगकर्ता की निजता का उल्लंघन होने के साथ निगरानी का जोखिम हो सकता है। हालांकि, सरकार का कहना है कि यह केवल चोरी हुए फोन का पता लगाने, उसे ब्लॉक करने और उसके दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है। एप स्वैच्छिक रूप से डाउनलोड के लिए उपलब्ध रहेगा।
केंद्र ने हाल ही में मोबाइल फोन निर्माता कंपनियों को यह निर्देश दिया था कि मार्च 2026 से हर नये स्मार्टफोन में संचार साथी एप प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य होगा। साथ ही पुराने हैंडसेट्स में इसे सॉफ्टवेयर अपडेट के जरिये भेजे जाने का भी निर्देश था। कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे थे। कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि यह जासूसी एप है और सरकार देश में तानाशाही लागू करने का प्रयास कर रही है। ऐसा कहा जा रहा है कि एप्पल और सैमसंग जैसे कुछ विनिर्माताओं ने भी 28 नवंबर के आदेश पर अपनी आपत्ति जताई थी।
संचार मंत्रालय के बयान के अनुसार, ‘यूजर्स की संख्या तेजी से बढ़ रही है और एप इंस्टॉल करने का आदेश इस प्रक्रिया को तेज करने एवं कम जागरूक नागरिकों तक एप को आसानी से पहुंचाने के लिए दिया गया था। पिछले एक दिन में ही छह लाख नागरिकों ने एप डाउनलोड करने के लिए पंजीकरण कराया है, जो इसके उपयोग में 10 गुना वृद्धि है।’
‘साथी’ पर अविश्वास (संपादकीय पेज 6)

