Maha Kumbh Digital Security : कुंभ में तीर्थयात्रियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए एआई आधारित की जा रही निगरानी
प्रयागराज, 22 फरवरी (भाषा)
Maha Kumbh Digital Security : महाकुंभ में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) आधारित निगरानी प्रणाली का इस्तेमाल आने वाले वर्षों में भीड़ भाड़ वाली जगहों पर भगदड़ की घटनाओं को रोकने और इस वर्ष जैसी त्रासदी की पुनरावृत्ति से बचने में मदद करेगा। मेला अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
प्रयागराज में आयोजित महाकुंभ में 29 जनवरी को मची भगदड़ में कम से कम 30 लोग मारे गए और 90 से अधिक घायल हो गए। इस महाकुंभ में अब तक रिकॉर्ड 60 करोड़ तीर्थयात्री आ चुके हैं। अधिकारियों ने बताया कि 4000 एकड़ के मेला मैदान पर 2,750 क्लोज सर्किट कैमरे (सीसीटीवी) निगरानी कर रहे हैं, जिनमें से लगभग 250 एआई से लैस हैं। ये कैमरे मेले के एकीकृत नियंत्रण एवं कमान केंद्र (आईसीसीसी) को सूचनाएं भेज रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इन कैमरों की मदद से अधिकारियों को स्नान घाटों पर प्रति वर्ग मीटर भीड़ के घनत्व, प्रति मिनट मेला परिसर में लोगों की आवाजाही, वाहनों की पार्किंग स्थिति, प्रमुख चौराहों पर भीड़ और पूर्व निर्धारित खतरे की सीमाओं के आधार पर अलर्ट जारी करने की आवश्यकता के बारे में वास्तविक समय से जानकारी मिल रही है। आईसीसीसी के प्रभारी और पुलिस अधीक्षक (एसपी) अमित कुमार ने कहा, ‘‘हम एआई सिस्टम द्वारा उपलब्ध कराए गए मेले के आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे, जब भीड़ खत्म हो जाएगी।
हमें उम्मीद है कि हम अगली बार इस तरह के बड़े पैमाने पर होने वाले आयोजनों को और कुशलता से प्रबंधित करेंगे तथा इस बार जैसी त्रासदी की पुनरावृत्ति को रोकने के लिए बेहतर ढंग से तैयार होंगे।'' अधिकारियों ने बताया कि आईसीसीसी की चार इकाइयां, जिनमें से दो मेला परिसर में अस्थायी रूप से स्थापित हैं, कुंभ मेले के दौरान यातायात प्रबंधन, भीड़ नियंत्रण, सुरक्षा और आपातकालीन प्रतिक्रिया, स्वच्छता, स्वास्थ्य देखभाल और सार्वजनिक संचार के लिए कमान केंद्र के रूप में काम करती हैं।
कमान केंद्र मुख्यालय में पुलिसकर्मियों की कई टीम, जिनमें लगभग 400 कर्मचारी शामिल हैं, विशाल मेला मैदान के सभी 25 सेक्टर से सीसीटीवी फीड की चौबीसों घंटे निगरानी कर रही हैं। यहां विशाल स्क्रीन हैं जो पूर्व निर्धारित एल्गोरिदम, कलर-कोडेड डेटा और ग्राफिकल चार्ट के आधार पर वास्तविक समय की जानकारी साझा करती हैं, जिन्हें व्याख्या करके 13 ग्रिड में फैली समानांतर ऑपरेटिंग रेडियो टीम को भेजा जाता है।
एसपी अमित कुमार ने कहा, ‘‘हमें उम्मीद थी कि बड़ी भीड़ होगी, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ की कभी उम्मीद नहीं थी। इस साल तीर्थयात्रियों के बीच धार्मिक उत्साह के बढ़ते स्तर के कारण उस दुर्भाग्यपूर्ण रात को बैरियर टूटने की घटना हुई। हम स्थिति को जल्द नियंत्रित करने में सक्षम हुए, लेकिन कुछ नुकसान हो चुका था।''
अधिकारियों ने कहा कि भगदड़ के बाद मानक संचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) को नया रूप दिया गया, और अब तक इससे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक समागम में बढ़ती भीड़ को नियंत्रित करने में सफलता मिली है। महाकुंभ आधिकारिक रूप से 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के अवसर पर गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम पर स्नान के बाद समाप्त हो जाएगा।