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‘एजुकेट गर्ल्स’ को मैग्सेसे पुरस्कार

दूरदराज के गांवों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली भारतीय गैर-लाभकारी संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया है। रविवार को इसकी घोषणा की गई। अवॉर्ड...
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दूरदराज के गांवों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों की शिक्षा के लिए काम करने वाली भारतीय गैर-लाभकारी संस्था ‘एजुकेट गर्ल्स’ को 2025 के रेमन मैग्सेसे पुरस्कार विजेताओं में शामिल किया गया है। रविवार को इसकी घोषणा की गई।

अवॉर्ड फाउंडेशन की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि ‘फाउंडेशन टू एजुकेट गर्ल्स ग्लोबली’, जिसे व्यापक रूप से ‘एजुकेट गर्ल्स’ के नाम से जाना जाता है, ने रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्राप्त करने वाला पहला भारतीय संगठन बनकर इतिहास रच दिया है।

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एशिया का नोबेल माना जाने वाला यह पुरस्कार, एशिया के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा में दिखाई गई महान भावना को मान्यता देता है। अन्य दो विजेताओं में मालदीव की शाहिना अली को उनके पर्यावरण संबंधी कार्यों के लिए और फिलीपीन के फ्लेवियानो एंटोनियो एल विलानुएवा को उनके योगदान के लिए चुना गया है।

विजेताओं को फिलीपीन के पूर्व राष्ट्रपति रेमन मैग्सेसे की फोटो वाला एक पदक, प्रशस्ति पत्र के साथ प्रमाणपत्र और नकद पुरस्कार दिया जाएगा। मनीला के मेट्रोपोलिटन थिएटर में 67वां रेमन मैग्सेसे पुरस्कार समारोह सात नवंबर को आयोजित किया जाएगा।

‘एजुकेट गर्ल्स’ की स्थापना 2007 में ‘लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स’ की स्नातक सफीना हुसैन ने की थी, जो उस समय सैन फ्रांसिस्को में कार्यरत थीं। उन्होंने महिला निरक्षरता की चुनौती का सामना करने के लिए भारत लौटने का निर्णय लिया। बयान में कहा गया, ‘राजस्थान से शुरुआत करते हुए एजुकेट गर्ल्स ने लड़कियों की शिक्षा के मामले में सबसे जरूरतमंद समुदायों की पहचान की, स्कूल न जाने वाली लड़कियों को कक्षा में पहुंचाया और उन्हें तब तक वहां रखने के लिए काम किया, जब तक कि वे उच्च शिक्षा और लाभकारी रोजगार के लिए योग्यता हासिल करने में सक्षम नहीं हो गईं।’

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