बैतूल (मप्र), 11 मई (एजेंसी)मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में एक बाघ के शावक की मंगलवार सुबह कथित रूप से ट्रेन की चपेट में आने से मौत हो गई। बैतूल के मुख्य वन संरक्षक मोहन मीणा ने बताया, ‘बैतूल के पोलापत्थर और ढोढरा मोहार रेलवे स्टेशन के बीच डाउन ट्रैक पर भौरा नदी के पास यह शावक मृत अवस्था में मिला था जिसकी सूचना केरल एक्सप्रेस के लोको पायलट द्वारा रेलवे अधिकारियों को दी गई।’ उन्होंने कहा कि सूचना मिलने पर वन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। मीणा ने बताया कि यह नर शावक है और इसकी उम्र एक साल से कम है। उन्होंने कहा कि संभवत: यह अपनी मां के साथ इलाके से गुजर रहा होगा और इसकी मां आगे निकल गई होगी लेकिन ट्रेन की लाइट की वजह से हादसा हो गया होगा। मीणा ने बताया कि शुरुआती तौर पर ट्रेन से टकराने से इस शावक की मौत होना प्रतीत हो रहा है। उन्होंने कहा कि इस बाघ के नमूने जांच के लिए सागर या जबलपुर में प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे। मीणा ने कहा कि घटनास्थल से सतपुड़ा बाघ अभयारण्य बहुत पास है और गर्मियों में पानी की कमी हो जाती है और हो सकता है कि यह शावक अपनी मां के साथ पानी की तलाश में आया होगा। उन्होंने बताया कि मृत शावक का दो पशु चिकित्सकों से पोस्टमॉर्टम कराया जाएगा।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।