नयी दिल्ली, 8 जून (एजेंसी)
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा है कि शराब की दुकान के स्थान विशेष के खिलाफ ‘जन भावना’ के आधार पर दुकान का लाइसेंस रद्द नहीं किया जा सकता है। न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा ने कहा कि आबकारी कानून के तहत लाइसेंस प्रदान करना ‘जन भावना’ के अधीन नहीं है और जब तक लाइसेंस को कानूनी प्रावधानों के विपरीत नहीं दिखाया जाता है, इसे रद्द नहीं किया जा सकता है। अदालत ने 31 मई को जारी अपने आदेश में कहा, ‘जब तक शराब की दुकान का लाइसेंस किसी वैधानिक प्रावधान के विपरीत नहीं साबित किया जाता है या जब तक यह साबित नहीं होता कि इसमें किसी नियम या विनियम का उल्लंघन हुआ है, तब तक इसे केवल इसलिए रद्द नहीं किया जा सकता है कि दुकान के स्थान विशेष को लेकर ‘जन भावना’ विपरीत होगी। शराब की दुकान के लिए स्थान निर्धारत करने के लिए जनता की राय या भावना संबद्ध अधिनियम के तहत प्रासंगिक या अनुकूल कारक नहीं है।’ अदालत मेसर्स 2 बैंडिट्स रेस्तरां का उत्पाद शुल्क लाइसेंस वित्तीय आयुक्त द्वारा बहाल किये जाने को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी।