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Ladakh Protest : लद्दाख में हिंसक हुआ आंदोलन, 4 लोगों की मौत; सोनम वांगचुक ने अनशन किया समाप्त 

वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी
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Ladakh Protest : लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को यहां जारी आंदोलन हिंसक हो गया। इस दौरान सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुई, जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई। वहीं 22 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 45 लोग घायल हो गए। लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी। कई घायलों की हालत गंभीर होने के कारण मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है। सुबह की शुरुआत लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के साथ हुई। सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए।
भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ की गई और कई वाहनों को आग लगा दी गई। लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच आग की लपटें और काला धुआं देखा जा सकता था। प्रदर्शनकारियों द्वारा व्यापक हिंसा शुरू करने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को गोलीबारी और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े। प्रशासन ने लद्दाख के लेह जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी। निषेधाज्ञा के तहत पांच या इससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। कांग्रेस नेता एवं पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग पर मंगलवार को धरना स्थल पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया।
लेह एपेक्स बॉडी की युवा शाखा ने प्रदर्शन व बंद का आह्वान किया था क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत देर शाम बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह अनशन उनकी 4 सूत्री मांगों- राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीट और नौकरियों में आरक्षण के समर्थन में केंद्र पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए दबाव बनाने के लिए था। वांगचुक ने कहा कि प्रदर्शनकारियों में से दो, 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था। कहा कि संभवतः यह हिंसक विरोध का तात्कालिक कारण था।
स्थिति तेजी से बिगड़ने पर उन्होंने अपील की और घोषणा की कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं। वांगचुक ने आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा कि मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है। स्थिति और बिगड़ती है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते। यह लद्दाख और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है क्योंकि पिछले 5 वर्षों से हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह शांतिपूर्ण था... हमने पांच मौकों पर भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल चले लेकिन आज हम हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण शांति के अपने संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं। उन्होंने प्रशासन से आंसू गैस के गोले दागना बंद करने की भी अपील की तथा सरकार से अधिक संवेदनशील होने का आग्रह किया।
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