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Kumar Sanu Case : दिल्ली हाई कोर्ट का सख्त फैसला, कहा- कुमार सानू की इजाज़त के बिना नहीं चलेगा नाम

दिल्ली हाई कोर्ट ने कुमार सानू के व्यक्तित्व अधिकारों की रक्षा की

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Kumar Sanu Case : दिल्ली हाई कोर्ट ने गायक कुमार सानू के व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की रक्षा करते हुए सोशल मीडिया से उनके आपत्तिजनक वीडियो हटाए जाने का बुधवार को आदेश दिया। न्यायमूर्ति मनमीत प्रीतम सिंह अरोड़ा ने मौखिक रूप से कहा कि वह सानू के अधिकारों की रक्षा और आपत्तिजनक सामग्री को हटाए जाने के लिए एक विस्तृत अंतरिम निषेधाज्ञा पारित करेंगे।

अदालत कुमार सानू की उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें उनके नाम, आवाज, गायन शैली एवं तकनीक, गायन व्याख्या, गायन के तौर-तरीके, छवियों, व्यंग्यचित्रों, तस्वीरों और हस्ताक्षर समेत उनके व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की सुरक्षा का अनुरोध किया गया था। गायक ने तीसरे पक्ष द्वारा अनधिकृत या बिना लाइसेंस के उपयोग और व्यावसायिक दोहन के खिलाफ भी रक्षा का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा कि इससे आम जनता से धोखा और उनमें भ्रम की स्थिति पैदा होने की संभावना है।

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सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों में से एक के वकील ने दलील दी कि सानू ने फेसबुक और इंस्टाग्राम पर चार प्रोफाइल के बारे में शिकायत दर्ज कराई है और वादी द्वारा उपलब्ध कराए गए 334 यूआरएल अनुपलब्ध हो गए हैं। अधिवक्ताओं शिखा सचदेवा और सना रईस खान के माध्यम से दायर इस मुकदमे में सानू को उनकी प्रस्तुतियों के दौरान कॉपीराइट अधिनियम के प्रावधानों के तहत प्रदत्त उनके नैतिक अधिकारों का भी उल्लंघन किए जाने का आरोप लगाया गया है।

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याचिका में दावा किया गया है कि प्रतिवादी गायक के नाम, उनकी आवाज, समानता और प्रचार अधिकारों का उल्लंघन कर रहे हैं। हाल में अभिनेत्री ऐश्वर्या राय बच्चन, उनके पति अभिषेक बच्चन, अभिनेता ऋतिक रोशन, फिल्मकार करण जौहर, तेलुगु अभिनेता अक्किनेनी नागार्जुन, ‘आर्ट ऑफ लिविंग' के संस्थापक श्री श्री रविशंकर और पत्रकार सुधीर चौधरी ने भी अपने व्यक्तित्व और प्रचार अधिकारों की रक्षा का अनुरोध करते हुए हाई कोर्ट का रुख किया था और अदालत ने उन्हें अंतरिम राहत प्रदान की थी।

प्रचार का अधिकार, जिसे व्यक्तित्व अधिकार के रूप में जाना जाता है, किसी की छवि, नाम या समरूपता की रक्षा करने, उसे नियंत्रित करने एवं उससे लाभ प्राप्त करने से जुड़ा अधिकार है। सानू ने उनकी प्रस्तुतियों और आवाज से संबंधित ऐसे ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग का मुद्दा उठाया है जो उनकी बदनामी करते हैं और उन्हें "अप्रिय हास्य" का विषय बनाते हैं जिससे उनके नैतिक अधिकारों का उल्लंघन होता है। उन्होंने अपनी आवाज, गायन शैली और तकनीक, गायन के तरीके तथा उनके चेहरे के साथ छेड़छाड़ करके कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का इस्तेमाल कर बनाई गई सामग्री का भी मुद्दा उठाया है।

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