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Krishna Janmashtami 2025: मथुरा में श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में भव्य समारोह, बड़ी संख्या में उमड़े श्रद्धालु

Krishna Janmashtami 2025: मथुरा में कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीकृष्ण जन्मस्थान और सभी प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है और भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। कटरा केशवदेव स्थित श्री कृष्ण...
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Krishna Janmashtami 2025: मथुरा में 'जन्माष्टमी' उत्सव के अवसर पर पूजा करने के लिए कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में लोग उमड़ पड़े। पीटीआई फोटो
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Krishna Janmashtami 2025: मथुरा में कड़ी सुरक्षा के बीच श्रीकृष्ण जन्मस्थान और सभी प्रमुख मंदिरों में जन्माष्टमी के अवसर पर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाया जा रहा है और भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। कटरा केशवदेव स्थित श्री कृष्ण जन्मस्थान परिसर में भव्य समारोह आयोजित किया जाएगा, जहां भागवत भवन में भगवान की दिव्य प्राकट्य लीला सम्पन्न होगी। पुलिस ने लोगों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। यातायात प्रबंधन के लिए अतिरिक्त बल तैनात किया गया है।

श्री कृष्ण जन्मभूमि न्यास के सचिव कपिल शर्मा ने बताया कि भगवान कृष्ण को चांदी से सुसज्जित गर्भगृह में विराजमान किया जाएगा, जिसे ‘सिंदूर' पुष्प महल की तरह सजाया गया है। उन्होंने बताया कि ठाकुरजी की चल विग्रह को ‘रजत-सूप' में विराजमान कर अभिषेक स्थल तक ले जाया जाएगा।

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परंपरा के अनुसार, भगवान का प्राकट्य भी ‘रजत-कमल' पुष्प में होगा और पहला स्नान सोने की परत चढ़ी चांदी की कामधेनु गाय की मूर्ति के जरिए किया जाएगा। इस अवसर पर भक्तजन ठाकुरजी के जन्माभिषेक दर्शन के लिए मंदिर परिसर में सुबह साढ़े पांच बजे से रात्रि डेढ़ बजे तक प्रवेश पा सकेंगे।

उन्होंने बताया कि जन्माष्टमी के अवसर पर जन्मस्थान परिसर में श्री केशवदेव, श्रीयोगमाया, गर्भगृह, श्री राधाकृष्ण युगल सरकार मंदिर में विशेष पूजा-अर्चना की जाएगी। शर्मा ने बताया कि इस वर्ष का ‘सिंदूर बंगला' विषय भारतीय सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर' से प्रेरित है, जिसे उन्होंने आध्यात्मिक संकल्प, राष्ट्रहित, सैन्य वीरता और रणनीतिक कौशल का एक पवित्र संगम बताया। उन्होंने कहा कि विजय और सुरक्षा के प्रतीक भगवान कृष्ण के इस अनूठे रूप को देखकर भक्तों को गर्व और आध्यात्मिक आनंद की गहरी अनुभूति होगी।

शर्मा ने बताया कि जन्माभिषेक का मुख्य कार्यक्रम शनिवार रात्रि 11 बजे श्री गणेश, नवग्रह आदि पूजन से प्रारम्भ होगा जो रात 11 बजकर 55 मिनट तक सहस्त्रार्चन (फूलों और तुलसी के पत्तों का 1,000 बार अर्पण) के साथ जारी रहेगा। इसके उपरांत 11 बजकर 59 मिनट पर प्राकट्य दर्शन हेतु पट बंद कर दिए जाएंगे और मध्य रात्रि 12 बजे से 12 बजकर 10 मिनट तक प्राकट्य दर्शन के मध्य आरती सम्पन्न होगी।

इसके बाद 12 बजकर 10 मिनट से 12 बजकर 25 मिनट तक पयोधर महाभिषेक व 12 बजकर 25 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक रजत कमल पुष्प में विराजमान ठाकुर जी का जन्माभिषेक सम्पन्न होगा। उन्होंने बताया कि 12 बजकर 45 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट श्रृंगार आरती व अंत में एक बजकर 55 मिनट से दो बजे तक शयन आरती सम्पन्न होगी। श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के सदस्य गोपेश्वर नाथ चतुर्वेदी ने बताया कि मंदिर परिसर को सुंदर सजावट और रोशनी से सजाया जा रहा है।

कंस के कारागार के रूप में प्रसिद्ध गर्भगृह को 221 किग्रा चांदी का उपयोग करते हुए विशिष्ट स्वरूप में निखारा गया है। इससे पहले मथुरा में पुष्टिमार्ग संप्रदाय के मंदिर ठाकुर द्वारिकाधीश मंदिर में जन्माष्टमी पर किए गए बदलाव के साथ सुबह छह से छह बजकर 15 मिनट तक मंगला एवं साढ़े छह बजे से पंचामृत अभिषेक के दर्शन कराए गए और श्रृंगार के दर्शन साढ़े आठ बजे पर सम्पन्न हुए। सांयकाल उत्थापन के दर्शन साढ़े सात होंगे और उसके बाद भक्तजन भोग व संध्या आरती के दर्शन कर सकेंगे।

रात 10 बजे जागरण की झांकी होगी और उसके पश्चात 11 बजकर 45 मिनट पर ठाकुर के जन्म के दर्शन होंगे। रविवार को सुबह 10:00 बजे मंदिर प्रांगण में भव्य नंद महोत्सव का आयोजन किया जाएगा। नंद महोत्सव के बाद सभी श्रद्धालु आम दिनों की भांति दर्शन लाभ ले सकेंगे।

वृन्दावन के ठा. बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक मुनीष शर्मा एवं उमेश सारस्वत ने बताया कि उच्च न्यायालय के निर्देशानुसार रविवार सुबह ठाकुरजी के जन्माभिषेक के पश्चात मंगला आरती के दौरान केवल 500 भक्तों को ही मंदिर प्रांगण में मौजूद रहने की अनुमति होगी ताकि किसी भी प्रकार के दबाव अथवा भगदड़ की स्थिति न बने। हालांकि, प्रबंधन द्वारा मंगला आरती का सीधा प्रसारण किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक भक्त इसके दर्शन कर सकें।

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