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Kishtwar Cloudburst: मलबे और कीचड़ में फंसे लोगों की तलाश के लिए रातभर चला अभियान, अब तक 46 की मौत

Kishtwar Cloudburst:  जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने से प्रभावित गांव में मलबे और कीचड़ में फंसे लोगों की तलाश के लिए रात भर के विराम के बाद शुक्रवार तड़के बारिश के बावजूद बचाव और राहत अभियान फिर से...
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राहत एवं बचाव कार्य में जुटी टीम। पीटीआई फोटो
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Kishtwar Cloudburst:  जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में बादल फटने से प्रभावित गांव में मलबे और कीचड़ में फंसे लोगों की तलाश के लिए रात भर के विराम के बाद शुक्रवार तड़के बारिश के बावजूद बचाव और राहत अभियान फिर से शुरू किया गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। अधिकारियों ने बताया कि बचाव और राहत अभियान में तेजी लाने के लिए विशालकाय पत्थरों, उखड़े हुए पेड़ों और बिजली के खंभों को हटाने के लिए खुदाई करने वाले उपकरणों (अर्थमूवर) की मदद ली जा रही है।

किश्तवाड़ जिले के एक सुदूर पहाड़ी गांव चशोती में बृहस्पतिवार को बादल फटने से केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआईएसएफ) के दो जवानों समेत कम से कम 46 लोगों की मौत हो गयी जबकि कई अन्य के अब भी फंसे होने की आशंका है। मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग में पड़ने वाले चशोती गांव में यह आपदा अपराह्न 12 बजकर 25 मिनट पर आई। जिस समय हादसा हुआ, उस समय मचैल माता मंदिर यात्रा के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। यह यात्रा 25 जुलाई को आरंभ हुई थी और पांच सितंबर को समाप्त होनी थी।

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साढ़े नौ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित मचैल माता मंदिर तक जाने के लिए श्रद्धालु चशोती गांव तक वाहन से पहुंच सकते हैं और उसके बाद उन्हें 8.5 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी होती है। यात्रा शुक्रवार को दूसरे दिन भी निलंबित है। चशोती गांव किश्तवाड़ शहर से लगभग 90 किलोमीटर दूर है।

यहां श्रद्धालुओं के लिए लगाया गया एक लंगर (सामुदायिक रसोईघर) इस घटना से सबसे अधिक प्रभावित हुआ। बादल फटने के कारण अचानक बाढ़ आ गई और दुकानों एवं एक सुरक्षा चौकी सहित कई इमारतें बह गईं। अब तक 167 घायलों को मलबे से बाहर निकाला गया है जबकि 69 लोगों के रिश्तेदारों ने उनके लापता होने की सूचना दी है। माना जा रहा है कि कई और लोग मलबे में फंसे हुए हैं। इस आपदा ने एक अस्थायी बाजार, लंगर स्थल और एक सुरक्षा चौकी को तहस-नहस कर दिया है।

अधिकारियों ने बताया कि चशोती और निचले इलाकों में अचानक आई बाढ़ के कारण कम से कम 16 आवासीय मकान एवं सरकारी इमारतें, तीन मंदिर, चार पवन चक्की, 30 मीटर लंबा एक पुल तथा एक दर्जन से अधिक वाहन क्षतिग्रस्त हो गए। बचाव एवं राहत अभियान बृहस्पतिवार देर रात रोक दिया गया था और दिन की पहली किरण के साथ ही इसे बारिश के बावजूद पुन: शुरू कर दिया गया। पुलिस, सेना, राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ), राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) के कर्मियों और स्थानीय स्वयंसेवकों सहित बचाव दल जीवित बचे लोगों को मलबे में खोज रहे हैं।

वीडियो में दिख रहा है कि कीचड़ भरा पानी, गाद और मलबा खड़ी ढलानों से तेजी से नीचे आ रहा है और उसके रास्ते में आने वाली हर चीज तबाह हो गई। घर ताश के पत्तों की तरह ढह गए, सड़कें और बचाव मार्ग अवरुद्ध हो गए तथा भूस्खलन ने हरे-भरे परिदृश्य को गहरे भूरे-धूसर रंग में बदल दिया। उपायुक्त पंकज कुमार शर्मा किश्तवाड़ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक नरेश सिंह के साथ जमीनी स्तर पर जारी बहु-एजेंसी अभियान की निगरानी के लिए इलाके में डेरा डाले हुए हैं। मृतक संख्या और बढ़ने की आशंका है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले के धराली गांव में अचानक आई बाढ़ के नौ दिन बाद हिमालय की नाजुक ढलानों पर यह तबाही हुई। उत्तराखंड में पांच अगस्त को आई उस आपदा में एक व्यक्ति की मौत की पुष्टि हुई है, लेकिन 68 लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं।

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