Kishore Kumar 96th Birth Anniversary : 'कभी अलविदा ना कहना'...इंदौर के महाविद्यालय में गूंजे पूर्व छात्र किशोर कुमार के नगमे
किशोर कुमार की 96 वीं जयंती पर सोमवार को यहां क्रिश्चियन कॉलेज हिंदुस्तानी सिनेमा के इन हरफनमौला कलाकार के सुरीले रंग में रंगा नजर आया, जब संस्थान ने अपने पूर्व छात्र को भावों से भरी श्रद्धांजलि दी। किशोर कुमार की जयंती मनाने के लिए क्रिश्चियन कॉलेज के पूर्व और वर्तमान विद्यार्थियों के साथ ही उनके कई प्रशंसक 1887 में स्थापित इस संस्थान में बड़ी तादाद में जुटे।
इस मौके पर महाविद्यालय में पूर्व छात्र किशोर कुमार की याद में केक काटा गया। स्थानीय गायकों ने जब ‘‘कभी अलविदा ना कहना…'' और ‘‘सारा जमाना हसीनों का दीवाना'' जैसे मशहूर गीत गाकर समां बांधा, तो श्रोता किशोर कुमार की यादों में डूब गए। किशोर कुमार के उन रोचक किस्सों को याद भी किया गया जो महाविद्यालय में आज भी चटखारे लेकर सुनाए जाते हैं। अधिकारियों ने बताया कि 4 अगस्त 1929 को मध्यप्रदेश (तब मध्यप्रांत) के खंडवा में पैदा हुए किशोर कुमार का वास्तविक नाम ‘‘आभास कुमार गांगुली'' था।
कुमार ने इस महाविद्यालय में 1946 से 1948 तक पढ़ाई की थी। वह संस्थान परिसर के छात्रावास में ही रहते थे। क्रिश्चियन कॉलेज के प्रशासनिक अधिकारी डॉ. दीपक दुबे ने बताया कि किशोर कुमार बीए की पढ़ाई करने हमारे महाविद्यालय में आए थे। उन्हें गाने का खूब शौक था, लेकिन तब उनका स्वभाव इतना शर्मीला था कि वह कार्यक्रमों में अपनी प्रस्तुति के दौरान मंच पर आने के बजाय मंच के परदे के पीछे छिपकर गीत गाया करते थे। किशोर कुमार बीए की पढ़ाई अधूरी छोड़कर फिल्म जगत में करियर बनाने के लिए 1948 में मुंबई चले गए थे, लेकिन क्रिश्चियन कॉलेज में कैंटीन चलाने वाले एक व्यक्ति के उन पर 5 रुपये और 12 आने (उस समय प्रचलित मुद्रा) उधार रह गए थे।
कैंटीन के इस व्यक्ति को महाविद्यालय में लोग काका कहकर पुकारते थे। जब तक किशोर कुमार हमारे महाविद्यालय में पढ़े, तब तक काका अक्सर उनसे कहते रहते थे कि वह उनके पांच रुपये और 12 आने लौटा दें। काका की उधारी की बात किशोर कुमार को मुंबई जाने के बाद भी याद रही और माना जाता है कि उधारी की रकम से प्रेरित होकर ही फिल्म ‘‘चलती का नाम गाड़ी'' (1958) के मशहूर गीत ‘‘5 रुपैया बारह आना...'' का मुखड़ा लिखा गया था। इस गीत को खुद किशोर कुमार ने लता मंगेशकर के साथ आवाज दी थी।
क्रिश्चियन कॉलेज के पुराने छात्रावास के परिसर के पास इमली का पेड़ भी इस संस्थान में किशोर कुमार की विरासत का गवाह है। महाविद्यालय के अधिकारियों के मुताबिक किशोर कुमार कक्षा से भाग कर इस पेड़ के नीचे अपने दोस्तों के साथ गीत-संगीत की मंडली जमाने के लिए प्रोफेसरों के बीच ‘‘कुख्यात'' थे। किशोर कुमार का निधन 13 अक्टूबर 1987 को मुंबई में हुआ था, लेकिन जन्मस्थली खंडवा से उनका ताउम्र दिली लगाव रहा। इस कारण उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया था।