Kargil Vijay Diwas : जहां बेटे ने देश के लिए जान दी, वहां मां को मिला सुकून
वर्ष 1999 यह दिन उन लोगों के लिए बेहद मायने रखता है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया
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लद्दाख के करगिल जिले के खूबसूरत शहर द्रास में ‘लामोचन व्यू पॉइंट' पर बहती ठंडी हवा में लोगों ने वर्ष 1999 के करगिल युद्ध में शहीद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें याद किया। द्रास सेक्टर की ऊंची-ऊंची चोटियों पर पड़ती सूरज की किरणें दृश्य को और मनमोहक बना देती है। यह घाटी कभी भारतीय सेना और कश्मीरी आतंकवादियों के वेश में पाकिस्तानी घुसपैठियों के बीच युद्ध का मैदान रही थी।
इस सभा में बीना महत, करगिल युद्ध के वीर सैनिकों व शहीदों के परिवारों, दोस्तों और रिश्तेदारों सहित बाकियों से अलग नजर आ रही थीं।वर्ष 1999 यह दिन उन लोगों के लिए बेहद मायने रखता है, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया है और इन्हीं में से एक जवान की मां हैं बीना। बीना अपने परिवार के सदस्यों वाली एल्बम को देखते हुए याद करती हैं कि कैसे उनका बेटा युद्ध में दुश्मन की गोलियों का निशाना बना था। उन्होंने कहा कि मुझे इस जगह पर सुकून मिलता है क्योंकि यहां मेरे बेटे ने देश के सम्मान के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
लखनऊ की रहने वाली बीना ने करगिल युद्ध में अपने बेटे सुनील जंग महत को खो दिया था। सुनील महत एक राइफलमैन थे और उन्होंने युद्धभूमि में सर्वोच्च बलिदान दिया। वर्ष 1999 में द्रास के निर्णायक युद्ध में पाकिस्तानी घुसपैठियों से लड़ते हुए अपने बेटे के बलिदान के 255 बरस बीतने के बाद भी बीना उस जमीन पर सुकून की तलाश में आईं, जहां उनके बेटे ने शहादत पाई थी। हाथों में अपने बेटे की तस्वीरों का एक पुराना एल्बम लिए बीना ने द्रास सेक्टर का दौरा करने का साहस जुटाया, जो 25 साल पहले युद्धभूमि में बदल गया था।
अपने छोटे बेटे की तस्वीरें देखकर बीना के आंसू बह निकले। बीना ने कहा कि दशहरा हो, दिवाली हो, होली हो, रक्षाबंधन हो या फिर कोई भी त्यौहार मुझे अपना बेटा याद आता है। मैं उसकी तस्वीरें देखकर सोचती हूं कि अगर वह जिंदा होता, तो उसकी शादी हो चुकी होती और उसके बच्चे होते। मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसी कौन सी गलती की थी कि मुझे अपने बेटे को खोना पड़ा। हालांकि मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरे बेटे ने अपना कर्तव्य निभाते हुए अपनी जान गंवाई। इससे बड़ी कोई उपलब्धि नहीं है।
आज लोग मुझे उसकी वजह से जानते हैं। वरना किसी को परवाह नहीं होती। शहीद सुनील महत की मां ने नम आंखों से कहा कि मुझे यकीन है कि वो ऊपर से मुझे देख रहा होगा। मैं उसके पिता, दोनों बहनों और भतीजी को बताना चाहती हूं कि हम सब ठीक हैं। मैं प्रार्थना करती हूं कि उसकी आत्मा को शांति मिले।
(जेहरा सैफी)
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