कारगिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर भारत और पाकिस्तान के बीच हुए कारगिल युद्ध के 26 साल बाद, इस साल मई में इस सीमा पर फिर युद्ध जैसे हालात बने, जब पाकिस्तान ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय ठिकानों पर ड्रोन और मिसाइलें दागीं। सेना के अनुसार लद्दाख में नियंत्रण रेखा से लगे इलाके उन 36 जगहों में शामिल थे जिन्हें पाकिस्तान ने पूरी पश्चिमी सीमा पर निशाना बनाने की कोशिश की थी।
26 जुलाई (कारगिल विजय दिवस) को जब विशाल चट्टानी युद्धक्षेत्रों के नीचे युद्ध की 26वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में बिगुल बजेंगे, तो युद्ध मशीनें और उनके पीछे तैनात जवान उत्तरी क्षेत्र में व्यापक रूप से बदले हुए भू-रणनीतिक माहौल के साथ-साथ उभरते खतरों से निपटने के लिए क्रांतिकारी सैद्धांतिक बदलाव भी देखेंगे। कारगिल युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करने, सैनिक सम्मेलन, भूतपूर्व सैनिकों को सम्मानित करने तथा बीटिंग रिट्रीट जैसे कार्यक्रमों की एक शृंखला आयोजित की जाएगी, ताकि वर्ष 1999 में मई के मध्य से जुलाई के अंत तक चले इस युद्ध में सर्वोच्च बलिदान देने वाले 534 सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जा सके।
कारगिल युद्ध के बाद के वर्षों में लद्दाख में सैनिकों की संख्या में भारी वृद्धि की गई है और सेना की आवश्यकताओं के लिए स्वदेशी उपकरणों के विकास पर जोर दिया गया है।