जस्टिस सूर्यकांत ने 53वें सीजेआई के तौर पर ली शपथ
लंबित मामलों से निपटने और मध्यस्थता को बढ़ावा देने को बताया प्राथमिकता
सुप्रीम कोर्ट के सबसे वरिष्ठ जज जस्टिस सूर्यकांत ने सोमवार को भारत के 53वें चीफ जस्टिस (सीजेआई) के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सुबह 10 बजे राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। जस्टिस सूर्यकांत ने रविवार को सेवानिवृत्त हुए सीजेआई बीआर गवई की जगह ली है। वह लगभग 15 महीने तक इस पद पर रहेंगे।
शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति सीपी राधाकृष्णन, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री, हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी, पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, जस्टिस गवई, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा एवं पूर्व जजों समेत कानून और राजनीति के क्षेत्र के कई जाने-माने लोग शामिल हुए। सूत्रों ने बताया कि नेपाल, भूटान, श्रीलंका, मॉरिशस, मलेशिया, ब्राजील और केन्या के चीफ जस्टिस एवं जज भी मौजूद थे।
ईश्वर के नाम पर हिंदी में शपथ लेने के बाद जस्टिस सूर्यकांत सुप्रीम कोर्ट पहुंचे, जहां उन्होंने कोर्ट नंबर एक में सीजेआई की कुर्सी संभालने से पहले महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माला चढ़ाई। उन्होंने जस्टिस जॉयमाल्या बागची और जस्टिस एएस चंदुरकर के साथ पीठ की अगुवाई की। हरियाणा के हिसार जिले में 10 फरवरी, 1962 को मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे जस्टिस सूर्यकांत ने 1984 में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय, रोहतक से कानून में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। बाद में उन्होंने 2011 में कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से कानून में स्नातकोत्तर में ‘फर्स्ट-क्लास फर्स्ट’ का गौरव हासिल किया। उन्हें 7 जुलाई, 2000 को 38 साल की उम्र में हरियाणा का सबसे कम उम्र का एडवोकेट जनरल नियुक्त होने का गौरव मिला।
मामलों के मौखिक उल्लेख की प्रथा रोकी, पहले दिन 17 केस सुने
सीजेआई के रूप में पहले दिन जस्टिस सूर्यकांत ने एक नया प्रक्रियात्मक मानदंड स्थापित किया कि तत्काल सूचीबद्ध करने के लिए मामलों का उल्लेख लिखित रूप में करना होगा, केवल मृत्युदंड और व्यक्तिगत स्वतंत्रता जैसे मामलों में ‘असाधारण परिस्थितियों’ में मौखिक अनुरोधों पर विचार किया जाएगा। उनकी पीठ ने दो घंटे तक 17 मामलों की सुनवाई की। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा है कि बड़ी संख्या में लंबित मामलों से निपटना और और वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र के रूप में मध्यस्थता को बढ़ावा देना उनकी प्राथमिकताएं होंगी। उन्होंने कहा, ‘मध्यस्थता (लंबित मामलों को कम करने में) एक गेम-चेंजर साबित हो सकती है।’ सीजेआई ने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण संवैधानिक प्रश्नों के निपटारे के लिए संविधान पीठों की स्थापना को प्राथमिकता दी जाएगी, जिससे उच्च न्यायालयों में लंबित सैकड़ों मामलों को निपटाने में मदद मिल सकती है।

