सुरेश एस डुग्गर
जम्मू, 6 अप्रैल
कानून के हर पहलू की गहरी समझ और कई खासियतें अपने आप में समेटने वाले जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस जीएल रैना अपने निष्पक्ष फैसलों के लिए याद किए जाते हैं। उनके कई महत्वपूर्ण फैसलों को आज भी सराहा जाता है। जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पंकज मित्तल ने जस्टिस रैना के निष्पक्ष फैसलों के बारे में चर्चा उस समय की जब उन्होंने स्व. जस्टिस रैना को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें भावुकतापूर्वक याद किया। चीफ जस्टिस ने बताया कि जस्टिस रैना ने अपने कार्यकाल में ऐसे कई फैसले किये जो नजीर बन गये, जिनका रेफरेंस आज भी अदालतों में दिया जाता है। जस्टिस जीएल रैना का गत 29 मार्च को निधन हो गया था। उनके परिवार में उनकी पत्नी, 3 बेटियों तथा दामादों के अतिरिक्त दाेहते दाेहतियां भी हैं। जीवन के अंतिम समय में उनके दामाद अमित आर्य उनके साथ थे। आर्य हरियाणा के सीएम के मीडिया सलाहकार के तौर पर नियुक्त हैं।
19 जून 1938 को अनंतनाग जिले के अकूरा गांव के एक जमींदार परिवार में जन्मे जस्टिस रैना की शिक्षा सरकारी हाई स्कूल से हुई थी और श्रीनगर के अमर सिंह कॉलेज से उन्होंने स्नातक पूरी की थी। 1960-61 में आगरा यूनिवर्सिटी से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद उन्होंने अनंतनाग जिला कोर्ट में प्रैक्टिस शुरू की। कुछ वर्षों बाद वे प्रतियोगी परीक्षा में दूसरी पोजिशन लेकर ज्यूडिशियल ऑफिसर बने।
नवंबर 1997 में श्री रैना जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के जज बने और 19 जून 2000 तक उन्होंने सेवाएं दी। 2001 में जस्टिस रैना को बैकवर्ड क्लासेस कमीशन का चेयरमैन नियुक्त किया गया, जहां उन्होंने 3 साल तक कर्तव्यों का निर्वाह किया। 2006 में उन्हें जम्मू-कश्मीर एकाउंटेबिलिटी कमीशन का सदस्य नियुक्त किया गया और 2008 तक उन्हें इसके चेयरमैन की भी जिम्मेदारी निभाने को मिली। जस्टिस रैना की श्रद्धांजलि सभा कल होगी।