अहमदाबाद, 6 फरवरी (एजेंसी)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को देश की न्यायपालिका की सराहना करते हुए कहा कि उसने लोगों के अधिकार की रक्षा करने और निजी स्वतंत्रता को बरकरार रखने के अपने कर्तव्य का पूर्ण निष्ठा से िनर्वहन किया है। उन्होंने कहा कि न्यायपालिका ने उन स्थितियों में भी अपने कर्तव्य का निष्ठा से पालन किया, जब राष्ट्र हितों को प्राथमिकता दिए जाने की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के दौरान वीडियो कान्फ्रेंस के माध्यम से दुनिया में सर्वाधिक संख्या में सुनवाई की।
मोदी ने यह भी कहा कि देश की न्याय प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के वास्ते कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) की संभावनाओं को तलाशा जा रहा है।
मोदी ने गुजरात हाईकोर्ट के 60 वर्ष पूरे होने के अवसर पर ऑनलाइन माध्यम से डाक टिकट जारी करने के बाद कहा, ‘हर देशवासी यह कह सकता है कि हमारी न्यायपालिका ने हमारे संविधान की रक्षा के लिए दृढ़ता से काम किया। हमारी न्यायपालिका ने अपनी सकारात्मक व्याख्या से संविधान को मजबूत किया है।’ उन्होंने कहा, ‘यह सुनकर सभी को गौरव होता है कि हमारा न्यायालय महामारी के दौरान वीडियो काॅन्फ्रेंस के जरिए दुनिया का सर्वाधिक सुनवाई करने वाला न्यायालय बन गया है।’ उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल इंडिया मिशन’ की बदौलत देश की न्याय प्रणाली का तेजी से आधुनिकीकरण हो रहा है और 18,000 से अधिक अदालतें कम्प्यूटरीकृत हो चुकी हैं। मोदी ने गुजरात हाईकोर्ट की हीरक जयंती पर उसे बधाई देते हुए कहा कि अदालत और बार ने अपनी समझ एवं विद्वता के कारण विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने इस बात का भी उल्लेख किया कि महामारी के दौरान गुजरात हाईकोर्ट देश का पहला ऐसा न्यायालय बना, जिसने कार्यवाही का लाइव प्रसारण शुरू किया। राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (एनजेडीजी) का हवाला देते हुए मोदी ने कहा कि यह प्रणाली वकीलों और वादियों को एक क्लिक पर ही मुकदमे एवं आदेशों की जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक होगी। उन्होंने कहा कि सुप्रीमकोर्ट की समिति और राष्ट्रीय सूचना-विज्ञान केंद्र मिलकर भारत में न्याय प्रणाली को और सुलभ बनाने को लेकर कार्य कर रहे हैं।