राष्ट्रपति को निर्देश नहीं दे सकती न्यायपालिका : धनखड़
धनखड़ ने कहा कि भारत के राष्ट्रपति का पद बहुत ऊंचा है। उन्होंने कहा, ‘राष्ट्रपति संविधान के संरक्षण, सुरक्षा और बचाव की शपथ लेते हैं। मंत्री, उपराष्ट्रपति, सांसद और न्यायाधीश सहित अन्य लोग संविधान का पालन करने की शपथ लेते हैं। हम ऐसी स्थिति नहीं बना सकते जहां आप भारत के राष्ट्रपति को निर्देश दें और वह भी किस आधार पर? संविधान के तहत आपके पास एकमात्र अधिकार अनुच्छेद 145(3) के तहत संविधान की व्याख्या करना है। इसके लिए पांच या उससे अधिक न्यायाधीश होने चाहिए...।' उन्होंने कहा, ‘समय आ गया है जब हमारी तीन संस्थाएं -विधायिका, न्यायपालिका और कार्यपालिका -फूलें-फलें... किसी एक द्वारा दूसरे के क्षेत्र में हस्तक्षेप चुनौती पैदा करता है, जो अच्छी बात नहीं है...।'
'जज के घर नकदी मिलने पर दर्ज क्यों नहीं की प्राथमिकी'
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने हाईकोर्ट के एक जज के आवास से बड़ी मात्रा में नकदी की बरामदगी से जुड़े मामले में प्राथमिकी दर्ज न किए जाने पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि अगर यह घटना आम आदमी के घर पर हुई होती, तो प्राथमिकी दर्ज किए जाने की गति इलेक्ट्रॉनिक रॉकेट सरीखी होती। उपराष्ट्रपति ने कहा कि न्यायपालिका की स्वतंत्र जांच या पूछताछ के खिलाफ किसी तरह का 'सुरक्षा कवच' नहीं है। उन्होंने कहा कि किसी संस्था या व्यक्ति को पतन की ओर धकेलने का सबसे पुख्ता तरीका उसे जांच से सुरक्षा की पूर्ण गारंटी प्रदान करना है। यहां राज्यसभा प्रशिक्षुओं के एक समूह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि एक महीने से ज्यादा समय बीत चुका है। भले ही इस मामले के कारण शर्मिंदगी या असहजता का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन अब समय आ गया है कि इससे पर्दा उठाया जाए।