हरीश लखेड़ा/ट्रिन्यू
नयी दिल्ली, 20 अगस्त
बिहार विधानसभा चुनाव के लिए ‘महारथी’ अपना खेमा चुनने लगे हैं। चुनावी तैयारी में जुटे बिहार में नेताओं की दोस्ती टूटने और नए रिश्ते बनने का सिलसिला तेज हो गया है। दलित नेता व पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) ने बृहस्पतिवार को राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस के महागठबंधन को अलविदा कह दिया है। मांझी आगामी चुनावी महासमर में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जनतादल (यू) के साथ जाने की तैयारी में हैं। प्रदेश के महादलित समाज के मांझी के इस फैसले को महागठबंधन के लिए करारा झटका माना जा रहा है।
कोरोना के बावजूद केंद्र सरकार साफ कर चुकी है कि बिहार विधानसभा चुनाव तय समय पर ही होंगे। ये चुनाव इस साल अक्तूबर-नवंबर में हैं। जातिवादी राजनीति के लिए जाने जाते बिहार में महादलित समाज के जीतनराम मांझी की पार्टी की कोर कमेटी ने फैसला लिया है कि वह अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं रहेगी। माना जा रहा है कि मांझी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जदयू के साथ जा सकते हैं। अब यह तय होना है कि मांझी अपनी पार्टी का विलय करते हैं अथवा एनडीए का हिस्सा बनते हैं। नीतीश चाहते हैं कि मांझी अपनी पार्टी का जदयू में विलय कर दें। यह भी कहा जा रहा है कि मांझी अपने बेटे को लेकर भी जदयू से कोई डील कर सकते हैं।
लालू के समधी ने जदयू का दामन थामा
राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव के समधी और विधायक चंद्रिका राय ने पार्टी के 2 विधायकों के साथ जदयू का दामन थाम लिया। चंद्रिका राय लालू के पुत्र तेज प्रताप यादव के ससुर हैं।