नयी दिल्ली, 6 अप्रैल (एजेंसी)
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही भागीदारी सहित द्विपक्षीय संबंधों के विविध आयामों और भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन की तैयारियों को लेकर विस्तृत चर्चा की। लावरोव सोमवार की शाम को भारत की करीब 19 घंटे की यात्रा पर यहां पहुंचे। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष के साथ वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ बातचीत व्यापक और सार्थक रही।” उन्होंने कहा कि हमारी ज्यादातर बातचीत इस साल के आखिर में होने जा रहे भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन के बारे में हुई। विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘ हमने परमाणु, अंतरिक्ष और रक्षा क्षेत्र में लंबे समय से चली आ रही भागीदारी के बारे में बातचीत की।’ उन्होंने कहा, ‘हमने तेजी से बढ़ते हमारे ऊर्जा सहयोग पर चर्चा की तथा क्षेत्रीय एवं वैश्विक मामलों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’
जयशंकर ने कहा कि बातचीत के दौरान उन्होंने अफगानिस्तान पर हमारे रुख से रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव को अवगत कराया। दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने कोविड-19 रोधी टीकों के बारे में सहयोग को लेकर भी चर्चा की। जयशंकर ने लावरोव के साथ बातचीत के बाद कहा, ‘मैंने भारत-प्रशांत क्षेत्र पर हमारा नजरिया भी साझा किया।’ वहीं, रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लॉवरोव ने कहा, ‘हम आपसी सहयोग को और गहरा बनाने पर ध्यान केंद्रित किये हुए हैं। हमने ‘मेड इन इंडिया’ के तहत भारत में रक्षा क्षेत्र में सहयोग एवं हथियारों के विर्निर्माण के बारे में चर्चा की।’
इससे पहले, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने दोनों मंत्रियों की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘दीर्घकालिक एवं समय की कसौटी पर खरे उतरे सहयोगी। विदेश मंत्री जयशंकर ने रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव का स्वागत किया।” लावरोव की यात्रा से पहले रूसी दूतावास ने सोमवार को कहा था कि शुभेच्छा, आम सहमति और समानता के सिद्धांतों पर आधारित सामूहिक कार्यों को रूस काफी महत्व देता है और टकराव एवं गुट (ब्लॉक) बनाने जैसे कार्यों को खारिज करता है । गौरतलब है कि भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने हिन्द प्रशांत क्षेत्र में समुद्री जल क्षेत्र में सहयोग को लेकर क्वाड समूह बनाया है।