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Jagannath Dham Controversy : 'दीघा जगन्नाथ धाम' विवाद गर्माया, प्रशासन ने दिए लकड़ी के इस्तेमाल की जांच के आदेश

जगन्नाथ धाम विवाद: एसजेटीए ने दीघा मंदिर में पुरी की लकड़ी के कथित इस्तेमाल की जांच शुरू की
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भुवनेश्वर, 3 मई (भाषा)

Jagannath Dham Controversy : पश्चिम बंगाल सरकार के दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम' के रूप में पेश करने पर बढ़ते तनाव के बीच, श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन (एसजेटीए) ने इन आरोपों की आधिकारिक जांच शुरू कर दी है कि पुरी जगन्नाथ मंदिर की पवित्र लकड़ी का गुप्त रूप से दीघा मंदिर में मूर्तियां बनाने के लिए इस्तेमाल किया गया।

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आंतरिक जांच का आदेश देने वाले ओडिशा के कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा, ‘‘हमारे मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी फिलहाल मुंबई के दौरे पर हैं। वह रविवार को भुवनेश्वर लौटेंगे और पश्चिम बंगाल की अपनी समकक्ष ममता बनर्जी के समक्ष यह मुद्दा उठाएंगे।''

हरिचंदन ने कहा, ‘‘ओडिशा के लोगों को यह कतई स्वीकार्य नहीं है कि कोई ‘जगन्नाथ धाम' नाम का दुरुपयोग करे। ‘धाम' शब्द का गहरा आध्यात्मिक महत्व है और इसका मनमाने ढंग से इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।'' उन्होंने कहा कि ओडिशा सरकार को देशभर में जगन्नाथ मंदिरों के निर्माण पर कोई आपत्ति नहीं है। हरिचंदन ने कहा, ‘‘लेकिन भगवान के भक्तों को दीघा मंदिर को ‘जगन्नाथ धाम' के रूप में मान्यता दिया जाना अस्वीकार्य है। इसके अलावा, मुझे व्यक्तिगत रूप से सभी धर्मों के लोगों को जगन्नाथ मंदिर में प्रवेश की अनुमति देने पर आपत्ति है।''

उपमुख्यमंत्री पार्वती परिदा ने सीधे तौर पर ममता बनर्जी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘जिन लोगों ने भगवान जगन्नाथ के नाम का दुरुपयोग किया है, उन्हें अतीत में भारी कीमत चुकानी पड़ी है।'' पुरी के सांसद और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी दीघा मंदिर के लिए ‘जगन्नाथ धाम' नाम के इस्तेमाल पर कड़ी आपत्ति जताई।

इस बीच, एसजेटीए के मुख्य प्रशासक अरबिंद पाढी ने दीघा मंदिर में मूर्तियों को बनाने के लिए पुरी मंदिर की पवित्र लकड़ी के कथित इस्तेमाल की जांच शुरू कर दी है। यह कदम पुरी के वरिष्ठ सेवादार रामकृष्ण दासमोहपात्रा की ओर से एक बांग्ला समाचार चैनल से बातचीत के दौरान कथित तौर पर की गई टिप्पणियों के बाद उठाया गया है।

स्थानीय टेलीविजन चैनलों ने दासमोहपात्रा का फुटेज प्रसारित किया, जिसमें उन्होंने बांग्ला में दावा किया कि वह पुरी से संग्रहित पवित्र लकड़ी से बनी भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की मूर्तियां लाए हैं। हालांकि, दासमोहपात्रा ने इस आरोप का खंडन करते हुए कहा कि उन्होंने दीघा ले जाने से पहले पुरी में नीम की लकड़ी से मूर्तियां बनाई थीं।

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