ट्रंप के विदेशी फिल्मों पर शत-प्रतिशत शुल्क के प्रभाव का आकलन करना जल्दबाजी, भारतीय फिल्मकारों की प्रतिक्रिया
भारतीय फिल्म निर्माताओं और वितरकों के मुताबिक अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा विदेशी फिल्मों पर शत-प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा के वास्तविक प्रभाव का आकलन करना अभी जल्दबाजी होगी। उन्होंने हालांकि स्वीकार किया कि अगर यह अमेरिका में रिलीज होने वाली भारतीय फिल्मों पर लागू होता है, तो टिकट की दरें बढ़ जाएंगी।
ट्रंप ने सोमवार को मई में की गई अपनी टिप्पणी को दोहराते हुए घोषणा की कि वह ‘‘अमेरिका के बाहर बनी सभी फिल्मों'' पर ‘‘100 प्रतिशत शुल्क'' लगाएंगे। प्रोड्यूसर्स गिल्ड ऑफ इंडिया के अध्यक्ष शिबाशीष सरकार ने ट्रंप की हालिया घोषणा के बारे में कहा कि वह इस मामले में प्रतीक्षा और निगरानी की नीति अपना रहे हैं, क्योंकि फिल्मों पर यह शुल्क कैसे लगाया जाएगा, उसे लेकर कोई स्पष्टता नहीं है। सरकार ने कहा कि हमें इस बारे में उनके आदेश जारी होने तक इंतजार करना चाहिए।
ऐसा लगता है कि उनका ध्यान उन अमेरिकी फिल्मों पर है, जो निर्माण के लिए अमेरिका से बाहर जा रही हैं। जब वे प्रदर्शन के लिए अपने देश में आएंगी तो उनपर शुल्क बढ़ाना चाहते हैं। इसका उद्देश्य स्थानीय रोजगार और निवेश लाना है। ऐसे में, अमेरिका में रिलीज होने वाली किसी गैर-अमेरिकी फिल्म पर मुझे कोई बड़ा प्रभाव नहीं दिखता। उन्होंने कहा यदि शुल्क अमेरिकी बाजार में रिलीज होने वाली सभी फिल्मों, अमेरिकी और विदेशी दोनों पर लागू होता है, तो भारतीय फिल्मों पर इसका प्रभाव पड़ सकता है। सरकार ने कहा कि ऐसी स्थिति में, निर्माता टिकट की बढ़ी कीमतों का बोझ उपभोक्ता पर डाल देंगे।
भारतीय फिल्मों के लिए यह अधिक मायने नहीं रखता, क्योंकि उनका व्यवसाय काफी हद तक घरेलू टिकटों की बिक्री से आता है। विदेशी बाजारों में अमेरिका बड़ा है, लेकिन हिंदी फिल्मों के कुल राजस्व में इसकी हिस्सेदारी सिर्फ 6 से 7 प्रतिशत है। तमिल और तेलुगु फिल्मों के लिए अमेरिका एक महत्वपूर्ण बाजार है। यदि शत-प्रतिशत शुल्क लगता है, तो दक्षिण की फिल्मों के लिए राजस्व स्तर पर पांच से छह प्रतिशत का प्रभाव पड़ेगा और हिंदी फिल्मों के लिए यह तीन से चार प्रतिशत होगा। प्रमुख फिल्म वितरक राजेश थडानी ने भी कहा कि ट्रंप के प्रस्तावित शुल्क के बारे में ज्यादा स्पष्टता नहीं है।