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इसरो ने रचा इतिहास, 'बाहुबली' रॉकेट ने सबसे भारी उपग्रह को कक्षा में किया स्थापित

उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में सफलतापूर्वक कर दिया स्थापित
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भारतीय धरती से नयी पीढ़ी के स्वदेशी 'बाहुबली' रॉकेट के जरिए प्रक्षेपित किया जाने वाला सबसे भारी संचार उपग्रह रविवार को सफलतापूर्वक इच्छित कक्षा में स्थापित कर दिया गया। इसरो ने बताया कि 4,410 किलोग्राम वजनी संचार उपग्रह सीएमएस-03 को एलवीएम 3-एम5 रॉकेट के ज़रिए प्रक्षेपित किया गया, जिससे भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी को यह दुर्लभ उपलब्धि हासिल करने में मदद मिली। सीएमएस-03 एक बहु-बैंड संचार उपग्रह है और यह भारतीय भूभाग सहित एक विस्तृत समुद्री क्षेत्र में सेवाएं प्रदान करेगा।

उपग्रह को वांछित भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया गया। यह 2013 में प्रक्षेपित की गई जीसैट 7 श्रृंखला का प्रतिस्थापन भी है। इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने कहा कि प्रक्षेपण यान ने संचार उपग्रह को इच्छित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया। 4,410 किलोग्राम का उपग्रह सटीकता के साथ स्थापित कर दिया गया है। प्रक्षेपण के बाद मिशन नियंत्रण केंद्र से अपने संबोधन में उन्होंने एलवीएम 3 उपग्रह को ‘बाहुबली' रॉकेट बताया, जो स्पष्ट रूप से इसकी भारी भार उठाने की क्षमता का संदर्भ था।

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नारायणन ने याद दिलाया कि रॉकेट का पिछला प्रक्षेपण ‘‘सबसे प्रतिष्ठित चंद्रयान 3 था, जिसने राष्ट्र को गौरव दिलाया। रविवार को ‘‘भारी उपग्रह'' के साथ सफलता प्राप्त करने के बाद इसने ‘‘एक और गौरव'' प्राप्त किया। प्रायोगिक मिशन सहित एलवीएम 3 के सभी आठ प्रक्षेपण सफल रहे हैं, जो 100 प्रतिशत सफलता दर दर्शाते हैं। अंतरिक्ष विभाग के सचिव नारायणन ने कहा, ‘‘इस उपग्रह को कम से कम 15 वर्षों तक संचार सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत का एक और शानदार उदाहरण है।

इसरो वैज्ञानिकों को मिशन में कठिनाई का सामना करना पड़ा, क्योंकि मौसम अनुकूल नहीं था, लेकिन उन्होंने कड़ी मेहनत की और सफलता सुनिश्चित की। रविवार के प्रक्षेपण से पहले, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी भारी उपग्रहों को प्रक्षेपित करने के लिए फ्रांस स्थित एरियनस्पेस द्वारा प्रदान किए गए एरियन रॉकेटों की मदद से फ्रेंच गुयाना स्थित कौरू प्रक्षेपण केंद्र की सेवाओं का उपयोग कर रही थी।

5 दिसंबर, 2018 को इसरो ने फ्रेंच गुयाना से एरियन-5 वीए-246 रॉकेट के जरिए 5,854 किलोग्राम वजनी अपने सबसे भारी संचार उपग्रह जीसैट-11 को प्रक्षेपित किया था। दो ठोस मोटर ‘स्ट्रैप-ऑन' (एस200), एक द्रव प्रणोदक कोर चरण (एल110) और एक क्रायोजेनिक चरण (सी25) वाला 3 चरण वाला एलवीएम 3-एम5 रॉकेट इसरो को जीटीओ में 4,000 किलोग्राम तक वजन वाले भारी संचार उपग्रहों को प्रक्षेपित करने में पूर्ण आत्मनिर्भरता प्रदान करता है। एलवीएम3- को इसरो के वैज्ञानिक भू-समकालिक उपग्रह प्रक्षेपण यान (जीएसएलवी) एमके3 भी कहते हैं।

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