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आईपीएस आत्महत्या मामले में गहराया संकट, केंद्रीय मंत्री मनोहर लाल ने संभाला मोर्चा, राज्यपाल से मिले सीएम नायब सैनी

सातवें दिन भी नहीं हुआ पोस्टमार्टम, परिवार अड़ा - डीजीपी और रोहतक एसपी पर कार्रवाई की मांग

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IPS Puran Kumar suicide case
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हरियाणा के आईपीएस अधिकारी वाई पूरन कुमार की आत्महत्या के मामले ने अब पूरे राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। सातवें दिन भी परिवार शव का पोस्टमार्टम करवाने को तैयार नहीं हुआ, जबकि सरकार और प्रशासन के तमाम प्रयास नाकाम साबित हो रहे हैं। केंद्रीय ऊर्जा, आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल ने दक्षिण अफ्रीका से लौटते ही मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से बात की। मुख्यमंत्री ने राज्यपाल असीम कुमार घोष से मुलाकात कर स्थिति पर चर्चा की।

इसके साथ ही चंडीगढ़ अब देशभर के नेताओं का केंद्र बन गया है। सोमवार को केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्य मंत्री रामदास अठावले, तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री मल्लूभट्टी विक्रमार्का, केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू और कृष्णपाल गुर्जर सहित कई वरिष्ठ नेता अमनीत  (आईपीएस की पत्नी) के आवास पर पहुंचे।

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इन सभी ने परिवार से मुलाकात कर सांत्वना दी और मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। रामदास अठावले ने कहा कि दलित विरोधी मानसिकता आज भी खत्म नहीं हुई है। अब समय है कि दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई हो। उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी से मुलाकात भी की और इस पूरे मामले पर चर्चा की। माना जा रहा है कि रामदास अठावले ने भी परिवार को यह कहते हुए समझाने की कोशिश की है कि उन्हें न्याय मिलेगा।

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परिवार अड़ा - ‘पहले कार्रवाई, फिर पोस्टमार्टम’

आईएएस अधिकारी अमनीत पी़ कुमार अब भी इस बात पर अड़ी हैं कि जब तक आरोपियों को निलंबित कर गिरफ्तार नहीं किया जाता, तब तक शव का पोस्टमार्टम नहीं होगा। सूत्रों के अनुसार, उनके भाई और आम आदमी पार्टी के विधायक अमित रतन कोटफत्ता भी इस रुख में उनके साथ हैं और बातचीत की बागड़ोर उन्होंने ही संभाली हुई है। अब ऐसा भी कहा जा रहा है कि इस मामले में राजनीति काफी बढ़ गई है। खासकर पंजाब की ओर से। रविवार और सोमवार को भी हरियाणा सरकार के मंत्रियों के प्रयास नाकाम रहे।

सरकार के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बनी मौत

आईपीएस वाई पूरन कुमार की मौत अब हरियाणा सरकार के लिए प्रतिष्ठा और साख का बड़ा प्रश्न बन चुकी है। प्रदेश सरकार 17 अक्तूबर को अपने तीसरे कार्यकाल का पहला वर्ष पूरा करने जा रही है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोनीपत में ‘जन विश्वास-जन विकास’ रैली को संबोधित करने वाले हैं। सरकार की योजना थी कि इस मंच से विकास कार्यों की रिपोर्ट कार्ड पेश की जाएगी, लेकिन अब हालात बदल गए हैं। कैबिनेट की रविवार को हुई बैठक में इस संबंध में कोई निर्णय नहीं हो सका और अब मंगलवार को होने वाली अनौपचारिक बैठक में तय होगा कि कार्यक्रम होगा या नहीं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह मामला अब केवल प्रशासनिक नहीं, राजनीतिक संकट बन गया है। हर निर्णय सोच-समझकर लेना होगा।

जातीय समीकरणों में उलझी सरकार

वाई पूरन कुमार की मौत के बाद प्रदेश में जातीय तनाव का माहौल बन गया है। अनुसूचित जाति ने इसे सामाजिक न्याय और भेदभाव का मामला बताते हुए लामबंदी शुरू कर दी है। दूसरी ओर, पंजाबी और जाट समुदायों के संगठन भी सरकार के खिलाफ पंचायतें करने लगे हैं। सरकार पर एससी अधिकारियों के साथ भेदभाव के आरोप लग रहे हैं। विपक्षी दल लगातार सरकार पर हमला कर रहे हैं कि यह आत्महत्या नहीं, संस्थागत प्रताड़ना का परिणाम है।

डैमेज कंट्रोल में जुटी सरकार, परिणाम शून्य

राज्य सरकार ने प्रारंभिक चरण में कैबिनेट मंत्रियों कृष्ण लाल पंवार और कृष्ण बेदी को परिवार से संवाद का जिम्मा दिया था। दोनों मंत्री दो दिन से अमनीत कुमार के परिवार से मुलाकात नहीं कर पाए हैं। सरकार की रिपोर्ट में कहा गया है कि अमनीत स्वयं निर्णय लेने की स्थिति में नहीं हैं, परिवार पूरी तरह रिश्तेदारों और राजनीतिक दबाव में है। इस स्थिति में सरकार ने बातचीत की कोशिशें रोक दी हैं और अब सीनियर आईएएस अधिकारियों को आगे किया गया है। मुख्य सचिव अनुराग रस्तोगी, गृह सचिव डॉ़ सुमिता मिश्रा, अतिरिक्त मुख्य सचिव आरएस वुंडरू भी लगातार अमनीत पी़ कुमार से संपर्क बनाए हुए हैं और मुलाकात कर रहे हैं।

एसआईटी ने तेज की जांच, परिवार की नयी मांगें भी शामिल

चंडीगढ़ पुलिस ने परिवार की मांग पर एफआईआर में एससी/एसटी एक्ट की कड़ी धाराएं जोड़ी हैं और जांच एसआईटी को सौंपी गई है। परिवार के अनुरोध पर पोस्टमार्टम टीम में एक मजिस्ट्रेट और बैलिस्टिक एक्सपर्ट को शामिल करने की मंजूरी भी दे दी गई है। पीजीआई में मेडिकल बोर्ड का गठन पहले ही किया जा चुका है, लेकिन अमनीत ने शव की पहचान करने से इनकार कर दिया, जिससे सोमवार को भी पोस्टमार्टम नहीं हो सका। चंडीगढ़ प्रशासन ने बयान जारी किया है कि हम हर मांग को पूरा करने के लिए तैयार हैं, लेकिन जांच तभी आगे बढ़ेगी जब पोस्टमार्टम होगा।

कांग्रेस, आप और इनेलो के प्रतिनिधिमंडल सक्रिय

कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा, वरुण मुलाना, सतपाल ब्रह्मचारी, चंद्रप्रकाश सहित प्रतिनिधिमंडल ने अमनीत से मुलाकात कर न्याय में हो रही देरी पर नाराजगी जताई। इनेलो प्रमुख अभय सिंह चौटाला और पूर्व डीजीपी एमएस मलिक के नेतृत्व में आए प्रतिनिधिमंडल ने भी सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की। पंजाब की आम आदमी पार्टी सरकार के चार मंत्रियों -हरपाल सिंह चीमा, हरभजन सिंह, मोहिंदर भगत और डॉ़. रवजोत ने भी सोमवार को अमनीत से मुलाकात की। पूर्व केंद्रीय मंत्री पवन बंसल और पूर्व सांसद प्रेम सिंह चंदूमाजरा भी संवेदना जताने पहुंचे।

अठावले बोले - मानसिकता नहीं बदली, दोषी बच नहीं सकते

केंद्रीय मंत्री रामदास अठावले ने चंडीगढ़ में कहा कि आजादी के 75 साल बाद भी दलितों के प्रति मानसिकता में बदलाव नहीं आया है। जो भी अधिकारी दोषी हैं, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

केंद्र की एंट्री - संतुलन साधने की कोशिश

राज्य सरकार के डैमेज कंट्रोल में नाकाम रहने के बाद केंद्र ने सीनियर मंत्रियों को सीधे सक्रिय किया है। मनोहर लाल के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर और रवनीत बिट्टू ने स्थिति की समीक्षा की है। गुर्जर ने कहा कि एसआईटी जांच में कोई समझौता नहीं होगा। दोषी चाहे कितना भी बड़ा हो, सजा तय है। वहीं रवनीत बिट्टू ने उम्मीद जताई कि परिवार के साथ बातचीत से जल्द समाधान निकलेगा।

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