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IPS officer suicide case : समिति ने DGP को हटाने के लिए 48 घंटे की दी मोहलत, महापंचायत में लिया निर्णय

अभी तक उनका पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार नहीं किया गया है
IPS Puran Kumar suicide case
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हरियाणा के आईपीसी अधिकारी वाई पूरण कुमार के परिवार की मांगों को लेकर दबाव बनाने के लिए गठित 31 सदस्यीय समिति ने चंडीगढ़ प्रशासन और हरियाणा सरकार को राज्य के पुलिस प्रमुख शत्रुजीत कपूर को उनके पद से हटाने के लिए 48 घंटे की मोहलत दी है।

भारतीय पुलिस सेवा के 2001 बैच के अधिकारी कुमार ने 7 अक्टूबर को चंडीगढ़ के सेक्टर-11 स्थित अपने आवास पर कथित तौर पर खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी। उन्होंने आठ पन्नों का ‘अंतिम नोट' छोड़ा था, जिसमें कुछ वरिष्ठ अधिकारियों पर जातिगत भेदभाव और उत्पीड़न का आरोप लगाया गया है। पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) कपूर उन पुलिस अधिकारियों में शामिल हैं, जिन पर कुमार की पत्नी एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) की अधिकारी अमनीत पी कुमार ने उनके पति को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। समिति ने कपूर को उनके पद से हटाने के लिए 48 घंटे की मोहलत देने का निर्णय रविवार को सेक्टर-20 स्थित गुरु रविदास भवन में आयोजित एक महापंचायत में लिया। कार्यक्रम स्थल के आसपास भारी पुलिस बल तैनात था।

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समिति के प्रवक्ता ने बताया कि हरियाणा के डीजीपी और रोहतक के पूर्व पुलिस अधीक्षक (एसपी) को इस मामले में गिरफ्तार किया जाना चाहिए। हरियाणा सरकार को डीजीपी को उनके पद से हटा देना चाहिए। हमने 48 घंटे की मोहलत दी है, जिसके बाद हम आगे की कार्रवाई पर फैसला करेंगे। कुमार रोहतक के सुनारिया स्थित पुलिस प्रशिक्षण केंद्र में महानिरीक्षक (आईजी) के पद पर तैनात थे। उनकी मौत को छह दिन बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक उनका पोस्टमार्टम और अंतिम संस्कार नहीं किया गया है, क्योंकि परिवार ने उनकी मांगें पूरी होने तक इसके लिए सहमति देने से इनकार कर दिया है।

महापंचायत में उस वक्त हंगामा भी देखने को मिला, जब कुछ साल पहले अपना अलग संगठन बनाने वाले हरियाणा के पूर्व सांसद राज कुमार सैनी ने कथित तौर पर एक विवादास्पद टिप्पणी की। हालांकि, आयोजकों के शांति बनाए रखने की अपील करने के बाद लोग शांत हो गए। महापंचायत में आईपीएस अधिकारी के परिवार की ओर से एक संदेश पढ़ा गया, जिसमें न्याय की उनकी लड़ाई में समर्थन की अपील की गई। समिति में शामिल गुरमैल सिंह ने कहा कि महापंचायत के दौरान मामले की न्यायिक जांच की मांग भी उठाई गई। समिति के एक अन्य सदस्य करमवीर ने कहा कि कुमार के परिवार और दलित समुदाय को आशंका है कि अगर मृतक अधिकारी का अंतिम संस्कार कर दिया गया, तो सरकार आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करेगी।

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