तीनों सेनाओं का एकीकरण अपनी विशिष्ट पहचान के साथ आगे बढ़ेगा: सीडीएस
प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल अनिल चौहान ने कहा है कि सशस्त्र बलों के एकीकरण की प्रक्रिया के दौरान तीनों सेनाएं अपनी व्यक्तिगत पहचान बनाए रखेंगी और उनकी सर्वोत्तम प्रथाओं को शामिल किया जाएगा। उन्होंने संयुक्त क्षमताओं के महत्व को रेखांकित करते हुए बताया कि आने वाला मॉडल किसी न्यूनतम स्तर पर आधारित नहीं होगा बल्कि सर्वोच्च साझा मानकों को अपनाएगा।
संवाद सत्र के दौरान उन्होंने हाल में हुए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए कहा कि इस अभियान ने थलसेना, नौसेना और वायुसेना की एकजुटता को साबित किया। वह यूएसआई द्वारा 14 और 15 नवंबर को आयोजित भारतीय सैन्य विरासत उत्सव में शामिल हुए जहां उनकी नयी किताब ‘रेडी, रेलेवेंट एंड रिसर्जेंट 2’ पर चर्चा हुई। उन्होंने संकेत दिया कि इसका तीसरा खंड भी जल्द आएगा जिसमें ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित विवरण शामिल होंगे।
सैन्य एकीकरण की प्रगति पर पूछे जाने पर जनरल चौहान ने 22 अप्रैल को पहलगाम आतंकवादी हमले के बाद हुई भारतीय कार्रवाई और सात मई तक की सैन्य तैयारी के उदाहरण दिए। भारतीय सशस्त्र बलों ने सात मई को पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में कई आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए थे।
उन्होंने कहा कि इस अवधि में यह निर्धारित करने की आवश्यकता थी कि किन सैन्य संपत्तियों को पश्चिमी सीमा की ओर भेजना है और इसके लिए हवाई मार्ग से व्यापक स्तर पर आवाजाही की गई जिसे पूरी सुगमता से संपन्न किया गया। जनरल चौहान ने बताया कि तीनों सेनाओं के पास एमआरएसएएम और ब्रह्मोस जैसे साझा हथियार प्रणालियां उपलब्ध हैं और नौसेना ने भी सीमा पार की गई कुछ कार्रवाई में भूमिका निभाई थी।
सीडीएस ने कहा कि नियोजित एकीकरण के अनुरूप सेना में संयुक्त संस्कृति को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी संघर्ष को समझने के लिए भौतिक भूगोल के साथ मानव भूगोल को भी समझना आवश्यक है क्योंकि युद्ध में जीत विषमताएं पैदा करके ही मिलती है और यह नए क्षेत्रों में अधिक प्रभावी ढंग से संभव होती हैं।
