वाहनों को थानों में सड़ाने से बेहतर, वीडियो रिकॉर्ड करें और मालिकों को लौटा दें
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, 60 दिन में जांच व डिजिटल सबूत तैयार करें
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पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पुलिस थानों में वर्षों से पड़े जंग खा रहे जब्त वाहनों के मुद्दे पर सख्त रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि हत्या जैसे गंभीर मामलों में भी वाहन इतने लंबे समय तक जब्त रखकर बेकार करने की कोई जरूरत नहीं है। पुलिस उच्च गुणवत्ता वाली वीडियो और फोटो रिकॉर्डिंग कर ले और उसके बाद वाहन मालिकों को लौटा दिए जाएं। अदालत ने पुलिस को निर्देश दिया कि पहले फोरेंसिक जांच पूरी करें। वाहन के हर हिस्से की वीडियो व फोटो रिकॉर्ड करें। फिर शपथ पत्र व आवश्यक शर्तें पूरी करने पर वाहन मालिक को सौंप दें। यह पूरी प्रक्रिया 60 दिनों में पूरी होनी चाहिए।यह आदेश सिरसा जिले के 2023 के एक हत्या मामले से जुड़ी याचिका पर आया। इस केस में एक ट्रैक्टर और टाटा हैरियर एसयूवी जब्त की गई थी। दो साल बीतने के बावजूद वाहन मालिक को इन्हें वापस नहीं किया गया था। सेशन कोर्ट ने यह कहते हुए वाहन लौटाने से इनकार कर दिया था कि जांच अभी पूरी नहीं हुई है और कुछ आरोपी फरार हैं।
वाहन मालिक महेंद्र के भाई और पावर ऑफ अटॉर्नी धारक मुकेश कुमार ने इस फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी। जस्टिस अनूप चितकारा ने आदेश जारी करते हुए कहा कि वाहन वर्षों तक पुलिस लाइनों या थानों में खड़े रहने से खराब हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल सबूत सुरक्षित रह सकते हैं, लेकिन वाहन नहीं। पहचान के लिए फोटो और वीडियो ही पर्याप्त हैं।
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अदालत ने तर्क दिया कि अगर घटना मेट्रो, हवाई जहाज या ट्रेन में होती, तो क्या उन्हें भी जांच पूरी होने तक वर्षों तक जब्त रखा जाता, बिल्कुल नहीं। इसी तरह, बैटरी रिक्शा या कर्ज वाली टैक्सी के मामले में वाहन जब्त रखकर किसी की आजीविका खत्म नहीं की जा सकती।
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